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भटकती जिन्दगी

20 सितम्बर 2022

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तेरी तलाश में फिरता हूँ दर ब दर अब तो।

किसी भी काम में आते नही हुनर अब तो।

बड़े उदास से लगते हैं जिन्दगी के रास्ते मेरे_

नाकामयाबी की तरफ मुड़ती है हर डगर अब तो।

चला गया है तू करके मेरी मुहब्बत का हिशाब_

मेरे हिस्से में  अश्क आये इस कदर अब तो।

कोई साथी नही मेरा तनहाई और अन्धेरों के सिवा_

मेरी हर इक दुआ निकलती है बेअसर अब तो।

तेरे बाद किसी ने पूछी न खैरियत तेरे अभय की_

मुझे बेहाल देखकर मुस्कुराती है हर नजर अब तो।

                              अभय प्रताप सिहँ


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