तेरी तलाश में फिरता हूँ दर ब दर अब तो।
किसी भी काम में आते नही हुनर अब तो।
बड़े उदास से लगते हैं जिन्दगी के रास्ते मेरे_
नाकामयाबी की तरफ मुड़ती है हर डगर अब तो।
चला गया है तू करके मेरी मुहब्बत का हिशाब_
मेरे हिस्से में अश्क आये इस कदर अब तो।
कोई साथी नही मेरा तनहाई और अन्धेरों के सिवा_
मेरी हर इक दुआ निकलती है बेअसर अब तो।
तेरे बाद किसी ने पूछी न खैरियत तेरे अभय की_
मुझे बेहाल देखकर मुस्कुराती है हर नजर अब तो।
अभय प्रताप सिहँ