जो लोग ज्ञान को बड़े मन लगा के सुनते है उसको निश्चित ही मोक्ष मिलता है, परंतु सुनने के साथ साथ इसको व्यवहार में भी लाना पड़ेगा ,केवल सुनने से काम नहीं चलेगा..दूध-दूध बोल देने से,..घी-घी बोल देने से ताकतवर नहीं हो जाएगा..उसको पीना भी पड़ेगा..अगर जीवन में सुखी होना चाहते हो तो ज्ञानी बनना पड़ेगा. द्रष्टा भाव पर आ जाओ, संसार को देखो और उसका आनंद लो. उसमे उलझो मत. उसमे उलझ गए ना तो उलझ गए आप. इसलिए उल्जो मत. आप द्रष्टा भाव पर रहो. अब आ तो गए हो, आ गए हो तो सोचो हम इस पिंजरे में आ गए है संसार में आ गए है.अब इसमें से कैसे निकल जाए बाहर.इस चत्पताहत से कैसे निकल जाए. तो जिसका रास्ता गुरु लोग ही जानते है और या तो हम उनके आदेशों का पालन करे तो इस संसार से इस भवसागर से पार हो जायेंगे.यह भवसागर है उलझने वाला है. यहाँ बड़ा विचित्र खेल है. समझ में आया आपको. मक्खी किसको खा जाती है , कीड़े मोकड़े को, मकखी को छिपकली खा जाती है , छिपकली को बिल्ली खा जाती है ,बिल्ली को कुत्ता खा जाता है.. इस संसार में यही नियम है. हर छोटे व्यक्ति को बड़ा व्यक्ति खा जाता है. जितना गरीब व्यक्ति है ये धनवान व्यक्ति उसको खा जाते है. उसकी सारी ऊर्जा खा जाते है. उसकी सारी मेहनत खा जाते है .खा जाते है ना? यही खेल है इस दुनिया का.