चित क्या है ? "चेता" तुम्हारा. अब ये ढांचा
बैठा है इसमें चेता कहाँ जाता है तुम्हारा. कहा जाता है चेता तुम्हारा. अधिकतर
चेता कहा जाता है तुम्हारा. हमारा चेता जन्म जन्मान्तर के किये गए कामों पर जाता
है. अनेक जन्मो से हम जो काम करते आये है ना. जैसे एक किसान का लड़का है तो किसान
के लड़के का चेता कहाँ जाता है खेत खलियानों में. व्यापारी के लड़के का चेता व्यापार
में जाता है. इस ढाँचे के अन्दर रहने वाला का चेता. अब चेता वह जाता है तो क्या
घूमता है. वहां बुद्धि लगती है. क्या लगती है बुद्धि लगती है. ये बुद्धि क्या कहती
है . इस इस में से अधिक से अधिक निकाला
जाए. मतलब का काम किया जाए तो बुद्धि क्या सोचती है .मतलब सोचती है. तो याद रखना बुद्धि
का पूरा खेल मतलब का है. मतलब मतलब मतलब .....
इसके अलावा बुद्धि के पास कुछ नहीं है. आप दोस्ती भी उससे करेंगे जिससे
आपका स्वार्थ पूरा होता हो. आपकी रिश्तेदारी में भी दुश्मनी हो जायेगी यदि आपका स्वार्थ
सिद्ध नहीं होगा. तो बुद्धि पूरी लोभ से युक्त है. तो चेता किससे युक्त हो गया.
लोभ से. अब ये मन और बुद्धि मिलकर क्या बन गए. ...बुद्धि और चेता मिलकर क्या बन
गया ... मन बन गया. मन कुछ नहीं है. जैसे रिमोट कण्ट्रोल उसमे सेल नहीं डालो तो ,
तो सेल चेता है. आई समझ में. तो रिमोट कण्ट्रोल बुद्धि है. अब इसको चलाने के लिए
हाथ का इशारा चाहिए वो मन है. अब ये मन है तो तीन चीजे हो गई ये असली किसको चला
रहे हैं ..... अहंकार है. हम कोन है . हूँ है हम अहंकार. ये चार चीजे सुक्षम है.
इस शरीर के अन्दर ये चार चीजे है. चार चीजो की धरोहर क्या है इन चार चीजो की धरोहर
है पांच कर्म इन्द्रिया , पांच ज्ञान
इन्द्रिया. “आँख, नाक, कान मुह, जिह्वा, हाथ” ये इनके कहने पर चलते है. किनके कहने पर चलते
है? मन के कहने पर चलते है. चेता बुद्धि को कहेगा. बुद्धि लोभ को कहेगी और लोभ से
मन जाएगा. और मन इस हाथ को आदेश देकर कहेगा इस खेत में बेकार है ख़राब घांस है इसको
उखाड़ना है तो उखाड़ लो. मन ने कहा, मन ने बुद्धि को कहा, बूदधि ने हाथ को कहा और
हाथ ने घास को निकालकर फेंक दिया. अगर बुद्धि नहीं कहेगी तो और बुद्धि को कोन
कहेगा की फायदेमंद है. अगर कह देगा नहीं है तो आपके हाथ में एक्शन आएगा? नहीं
आएगा. अब इन सबको चेतना देने वाला कोन है. अहंकार. तो पांच कर्म इन्द्रिया, पांच
ज्ञान इन्द्रियाँ ये इसका धन है. सुक्षम शरीर का धन क्या है ? ये पांच कर्म. अगर
आपने इन चीजो को समझा अन्दर के ढाँचे के नहीं, ढाँचे के अन्दर के शरीर को समझा तो
आपको ज्ञान समझ में आएगा और अगर इन अन्दर की चीजो को नहीं समझा और बाहर ही बाहर शारीरिक
सोचते रहे तो कहानी किस्सों के अलावा और कुछ नहीं समझ पयोगे .. जीतने भी साहित्य
है, जितने भी पुराण है जितने भी धर्म है उनके केवल कहानी किस्से ही समझ में आएगे
ज्ञान नहीं ...