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समझे सुक्ष्म शरीर को “मन, चित, बुद्धि और अहंकार”

9 अक्टूबर 2015

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    चित क्या है ? "चेता" तुम्हारा. अब ये ढांचा बैठा है इसमें चेता कहाँ जाता है तुम्हारा. कहा जाता है चेता तुम्हारा. अधिकतर चेता कहा जाता है तुम्हारा. हमारा चेता जन्म जन्मान्तर के किये गए कामों पर जाता है. अनेक जन्मो से हम जो काम करते आये है ना. जैसे एक किसान का लड़का है तो किसान के लड़के का चेता कहाँ जाता है खेत खलियानों में. व्यापारी के लड़के का चेता व्यापार में जाता है. इस ढाँचे के अन्दर रहने वाला का चेता. अब चेता वह जाता है तो क्या घूमता है. वहां बुद्धि लगती है. क्या लगती है बुद्धि लगती है. ये बुद्धि क्या कहती है . इस इस में  से अधिक से अधिक निकाला जाए. मतलब का काम किया जाए तो बुद्धि क्या सोचती है .मतलब सोचती है. तो याद रखना बुद्धि का पूरा खेल मतलब का है. मतलब मतलब मतलब .....  इसके अलावा बुद्धि के पास कुछ नहीं है. आप दोस्ती भी उससे करेंगे जिससे आपका स्वार्थ पूरा होता हो. आपकी रिश्तेदारी में भी दुश्मनी हो जायेगी यदि आपका स्वार्थ सिद्ध नहीं होगा. तो बुद्धि पूरी लोभ से युक्त है. तो चेता किससे युक्त हो गया. लोभ से. अब ये मन और बुद्धि मिलकर क्या बन गए. ...बुद्धि और चेता मिलकर क्या बन गया ... मन बन गया. मन कुछ नहीं है. जैसे रिमोट कण्ट्रोल उसमे सेल नहीं डालो तो , तो सेल चेता है. आई समझ में. तो रिमोट कण्ट्रोल बुद्धि है. अब इसको चलाने के लिए हाथ का इशारा चाहिए वो मन है. अब ये मन है तो तीन चीजे हो गई ये असली किसको चला रहे हैं ..... अहंकार है. हम कोन है . हूँ है हम अहंकार. ये चार चीजे सुक्षम है. इस शरीर के अन्दर ये चार चीजे है. चार चीजो की धरोहर क्या है इन चार चीजो की धरोहर है  पांच कर्म इन्द्रिया , पांच ज्ञान इन्द्रिया. “आँख, नाक, कान मुह, जिह्वा, हाथ”  ये इनके कहने पर चलते है. किनके कहने पर चलते है? मन के कहने पर चलते है. चेता बुद्धि को कहेगा. बुद्धि लोभ को कहेगी और लोभ से मन जाएगा. और मन इस हाथ को आदेश देकर कहेगा इस खेत में बेकार है ख़राब घांस है इसको उखाड़ना है तो उखाड़ लो. मन ने कहा, मन ने बुद्धि को कहा, बूदधि ने हाथ को कहा और हाथ ने घास को निकालकर फेंक दिया. अगर बुद्धि नहीं कहेगी तो और बुद्धि को कोन कहेगा की फायदेमंद है. अगर कह देगा नहीं है तो आपके हाथ में एक्शन आएगा? नहीं आएगा. अब इन सबको चेतना देने वाला कोन है. अहंकार. तो पांच कर्म इन्द्रिया, पांच ज्ञान इन्द्रियाँ ये इसका धन है. सुक्षम शरीर का धन क्या है ? ये पांच कर्म. अगर आपने इन चीजो को समझा अन्दर के ढाँचे के नहीं, ढाँचे के अन्दर के शरीर को समझा तो आपको ज्ञान समझ में आएगा और अगर इन अन्दर की चीजो को नहीं समझा और बाहर ही बाहर शारीरिक सोचते रहे तो कहानी किस्सों के अलावा और कुछ नहीं समझ पयोगे .. जीतने भी साहित्य है, जितने भी पुराण है जितने भी धर्म है उनके केवल कहानी किस्से ही समझ में आएगे ज्ञान नहीं ...

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

ॐ गुरु जी , इस लेख को समझने मे थोड़ी कठिन लगा ।

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क्या आपको पता है? क्रोध का पूरा खांनदान है...... :-क्रोध की एक लाडली बहन है ।। जिद ॥ :-क्रोध की पत्नी है..... ॥ हिंसा ॥ :-क्रोध का बडा भाई है ॥ अंहकार ॥ :-क्रोध का बाप जिससे वह डरता है..... ॥ भय ॥ :-क्रोध की बेटिया हैं ॥ निंदा और चुगली ॥ :-क्रोध का बेटा है...... ॥ बैर ॥ :-इस खानदान की नकचडी बहू है..... ॥ ईर्ष्या॥ :-क्रोध की पोती है...... ॥ घृणा ॥ :-क्रोध की मां है ...... ॥ उपेक्षा ॥ और क्रोध का दादा है ।। द्वेष ।। तो इस खानदान से हमेशा दूर रहें और हमेशा खुश रहो।

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"मन चंगा तो कठौती में गंगा"

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एक इंसान की परिभाषा तो दी नहीं जा सकती,लोग ईश्वर को परिभाषित करने चलते हैं। कहने को तो उन्हें अंतरयामी कहते हैं,परन्तु बातें बनाने की कसर नहीं छोड़ते हैं।।

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ज्ञानयोग के मार्ग में चलने पर कभी कभी हम ये भूल जाते है कि हमें प्रकृति के नियमों की केवल जानकारी है, नियंत्रण नही। जिस प्रकार एक पेंडुलम को एक ओर खींचने पर वह दूसरी ओर जरूर जाता है उसी प्रकार कर्म, सुख और दुःख को जीवन में खिंच लाता है। ज्ञान का पर्दा माया के परदे से कम नही है। ज्ञान अगर उपयोग में न

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प्रभु खोजने से नहीं मिलते ,उसमे खो जाने से मिलते हैं ....

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मानव जीवन का लक्ष्य क्या है?

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मनुष्य जीवन का अधिकांश भाग आहार, निद्रा, भय और भोग में व्यतीत हो जाता है। शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में समय और शक्तियों का अधिकांश भाग लग जाता है। विचार करना चाहिए कि क्या इतने छोटे कार्यक्रम में लगे रहना ही मानव जीवन का लक्ष्य है? यह सब तो पशु भी करते हैं। यदि मनुष्य इसी मर्यादा के अंतर्ग

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"अहंकार बडा सूक्ष्म होता है"

7 अगस्त 2015
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अहंकार बडा सूक्ष्म होता है ओर बडा कुशल होता है। ओर अपने महत्व को सिध्द करने के लिये कोई न कोइ रास्ता खोज लेता है । अंहकार ऐसा परिधान पहन लेता है कि उसको पहचानना कठीन हो जाता है। अंहकार बडा भारी बहुरूपिया है। तथा धार्मिक यात्रा के मार्ग का सबसे बड़ा बाधक। यही वो शैतान है जो मन के आधार पर कई र

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बुराई ना करे क्योंकि ??

9 अक्टूबर 2015
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       एक राजा ब्राह्मणोंको लंगर में भोजन करारहाथा। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खाना खाते

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भवसागर का विचित्र खेल

9 अक्टूबर 2015
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       जो लोग ज्ञान को बड़े मन लगा के सुनते है उसको निश्चित ही मोक्ष मिलता है, परंतु सुनने के साथ साथ इसको  व्यवहार में भी लाना पड़ेगा ,केवल सुनने से काम नहीं चलेगा..दूध-दूध बोल देने से,..घी-घी बोल देने से ताकतवर नहीं हो जाएगा..उसको पीना भी पड़ेगा..अगर जीवन में सुखी होना चाहते हो तो ज्ञानी बनना पड़ेगा.

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संत कबीर की कहानी - 'आपसी विश्वास' और 'गृहस्थी का मूल मंत्र'

9 अक्टूबर 2015
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          संत कबीर रोज सत्संग किया करते थे। दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी बैठा ही रहा। कबीर ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, ‘मुझे आपसे कुछ पूछना है। मैं गृहस्थ हूं, घर में सभी लोगों से मेरा झगड़ा होता रहता है। मैं जानना चाहता हूं कि मेरे यहां गृह क्लेश क्य

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समझे सुक्ष्म शरीर को “मन, चित, बुद्धि और अहंकार”

9 अक्टूबर 2015
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    चित क्या है ? "चेता" तुम्हारा. अब ये ढांचाबैठा है इसमें चेता कहाँ जाता है तुम्हारा. कहा जाता है चेता तुम्हारा. अधिकतरचेता कहा जाता है तुम्हारा. हमारा चेता जन्म जन्मान्तर के किये गए कामों पर जाताहै. अनेक जन्मो से हम जो काम करते आये है ना. जैसे एक किसान का लड़का है तो किसानके लड़के का चेता कहाँ जाता

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सुक्ष्म शरीर और आप

16 अक्टूबर 2015
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     हमारी जिंदगी इस जवानी में उलझ-उलझ कर मर जाती है औरबुडापा आया हाथ पेरो में जोश नहीं , शरीर में ताकत नहीं. बूढ़े बन गए, रहा सहा बेटेबेटी खा जाते है. कहते है ऐ. पिताजी ये दो पिताजी वो दो, मुझको संपत्ति में हिस्सादो और जीवन हाई हाय करते करते छूट जाता है. पल्ले क्या आता है. कुछ भी आपके पल्लेनहीं आता

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क्या आप जानते हैं?

19 अक्टूबर 2015
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क्या आप जानते हैं?☞ खड़े खड़े पानी पीने वाले का घुटना दुनिया का कोई डॉक्टर ठीक नहीँ कर सकता।☞ तेज पंखे के नीचे या A. C. में सोने से मोटापा बढ़ता है।☞70% दर्द में एक ग्लास गर्म पानी किसी भी पेन किलर से भी तेज काम करता है।☞ कुकर में दाल गलती है, पकती नहीँ। इसीलिए गैस और एसिडिटी करती है।☞अल्युमिनम के ब

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परमात्मा का अंश

2 नवम्बर 2015
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परमात्मा का अंश अपने को पूर्ण रुप से जड,प्रकृति के साथ जोड लेता है सो वह जीव जगत  ओर उसी मे सुख-दुख का अनुभव करता है । पर जब वह जड से विमुख: हो कर चिन्मय तत्व के साथ  एकता का अनुभव करता है तब वह योगी कहा जाता है ।

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