बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होना है. एक तरफ मोदी हैं तो दूसरी तरफ सारे मौकापरस्त लोग एक साथ हो गए हैं. नितीश और लालू ने बिहार को क्या दिया है? लालू के जंगलराज के खात्मे के बाद बिहार के प्रेस्टीज में सुधार आना चालू हुआ था कि मोदी के प्रधानमंत्री कि दावेदारी कि वजह से नितीश कुमार को लगा कि एक संप्रदाय विशेष उनका साथ छोर देगा; और नितीश और बीजेपी का गठबंधन टूट गया. इसी के साथ बिहार कि इमेज को भी धका पहुंचा. लालू और नितीश जैसे लोगों को फ़र्क़ नहीं पड़ता कि जो बिहारी मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों में रहते हैं कैसे अपनी आइडेंटिटी को छुपाते हैं. उन्हें मजबूरन कहना पड़ता हैं कि ..हम दिल्ली के हैं या किसी और राज्य से हूँ. आज यह स्तिथि इन नेताओ कि वजह से ही है. मेरा मक़सद हैं कि बिहार राज्य कि इज़्ज़त में कैसे इजाफा हो? क्या इसे भैंस और बकरी पलनेवाले राज्य के रूप में ही दिखना चाहिए? क्या बिहार को जातिवाद पॉलिटिक्स के लिए ही जाना जायेगा? आप लोगों ने पचास -साठ के दशक की फिल्मे जरूर देखि होंगी. हर नौकर का किरदार ...भोजपुरी या बिहारी ही क्यों बोलता हैं... ये हालत अभी भी फिल्मों में हैं कि कोई भी गरीब या नौकर या मजदूर ..किरदार फिल्मवालों को दिखाना हो तो ...उसे भोजपुरी या बिहारी बोलनेवाला दिखा दो ....ये हमारी इज़्ज़त है और बिहार ब्रांड इसके लिए ही जाना जाता है. लालू यादव और मुस्लिम गठजोड़ पे पंद्रह -बीस साल बिहार का खा गया. इस गंवार की वजह से बिहार जितना बदनाम हुआ वह शायद ही किसी की वजह से हुआ हो. यह जब जेल में था तब इसकी अंगूठा छाप बीबी बिहार की मुख्यमंत्री बनी थी. वह बिहार के लिए सच में अन्धकार का युग था जहाँ ये बात बड़े गर्व से कही जाती थी की पढ़ लिखकर कुछ भी हासिल नहीं होता. और ये गंवार पूरे राज्य की एजुकेशन सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. ग्रेजुएशन कम्पलीट करने में लोगों को पांच पांच साल लग जाते थे. नितीश बदलाव की बयार लेकर आया था. किसी समय पर मैं नितीश का बहुत बड़ा प्रशंसक था लेकिन इस सख्स ने अपनी निजी महत्वकांक्षा के लिए पूरे बिहार को दाव पर लगा रखा है.
बिहार के लोगों का मैं आव्हान करता हूँ कि आप के सामने 'मौका' है. जात-पात को भूलकर वोट करे और बदलाव् के लिए इस बार वोट करें. जो लोग एंटी -हिन्दू पॉलिटिक्स करते हैं वो एक विशेष संप्रदाय के दम पे सत्ता में आ जाते हैं. क्यों एक विशेष संप्रदाय बिहार की पॉलिटिक्स का किंगमेकर बने. मैं आव्हान करता हूँ की सभी हिन्दू एक हो और आप ८० प्रतिसत है ...आप क्यों नहीं एक होकर बिहार की पॉलिटिक्स का किंगमेकर बनते हैं. चाहे हम किसी भी जात या पंथ के हों हैं तो हिंदुस्तानी ही. यह मौका है प्रो-माइनॉरिटी पॉलिटिक्स करनेवालो को बाहर का रास्ता दिखाने का. लालटेन से LED बल्ब की रौशनी में आने का. ये मौका है तीर -धनुष छोड़कर मॉडर्न युग से ज़ुरने का. ये मौका हैं जंगलराज से निकालकर बिहार को सभ्य समाज बनाने का. ये मौका है तरक्क़ी की राह पकड़ने का. आप को बता देता हूँ की ये बार बार नहीं आनेवाला. इस बार आर या पार. सब सत्ता के लालची एक हों गए हैं. इनका सिर्फ एक ही आसरा की एक विशेष संप्रदाय हमे धोखा नहीं देगा. और अगर हम जात पात के चक्र में पड़के वोट किया तो औरंगजेब का शासन ही बिहार के लोगों को नसीब होगा. बिहार के लोगों को आज शपथ लेना चाहिए कि इस 'मौका' को हम नहीं खोएंगे.