गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक हैरतअंगेज फैसले ने देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के अस्तित्व को कठघरे में खड़ा कर दिया है। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उस नियम को ही गलत ठहराया है, जिसके तहत देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई का गठन किया गया। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने सीबीआई की हर कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई जिन मामलों की जांच कर रही है, जिन मुकदमों की सुनवाई में शामिल है, सीबीआई ने जो गिरफ्तारियां की हैं, जितने तलाशी अभियान चलाए हैं, सामान जब्त करने की जो कार्रवाई की है, वो सब असंवैधानिक है।
आई बी एन खबर के अनुसार गुवाहाटी हाईकोर्ट का आदेश सीबीआई के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। इस वक्त देश के दर्जनों ऐसे बड़े मामले हैं जिनकी जांच सीबीआई कर रही है। तमाम दंगे, बड़े अपराध सीबीआई को ही जांच के लिए सौंपे जाते हैं। लेकिन गुवाहाटी हाईकोर्ट ने नियमों का पालन ना किए जाने के आधार पर सीबीआई के गठन को ही गलत ठहरा दिया है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के एक आदेश के बाद 1963 में सीबीआई का गठन किया गया था।
गुवाहाटी हाईकोर्ट के जस्टिस आईए अंसारी और इंदिरा शाह ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश दिया है कि 1 अप्रैल 1963 को जिस प्रस्ताव के तहत सीबीआई का गठन किया गया, उसे रद्द करार देते हैं। ये भी आदेश दिया जाता है कि सीबीआई, दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट का हिस्सा नहीं है। 1946 के डीएसपीई एक्ट के तहत सीबीआई को पुलिस फोर्स का भी दर्जा नहीं दिया जा सकता है। सीबीआई के गठन का गृह मंत्रालय का प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट का नहीं था और ना ही इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली हुई है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा गृहमंत्रालय के प्रस्ताव को विभागीय आदेश माना जा सकता है, लेकिन कानून नहीं।
सीबीआई की कार्रवाई जैसे केस दर्ज करना, अपराधी को गिरफ्तार करना, तलाशी लेना, जब्त करना, केस चलाना संविधान के आर्टिकल 21 की अवहेलना है और इसलिए असंवैधानिक करार दिया जाता है। सीबीआई को बनाने का फैसला किसी अध्यादेश के जरिए नहीं किया गया, ये सिर्फ एक विभागीय आदेश था। कोर्ट को ये कहने में जरा भी हिचक नहीं सीबीआई को 1946 के डीएसपीई एक्ट के तहत नहीं बनाया गया।