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चलो फिर से जीवन जीते हैं

23 सितम्बर 2021

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चल  एक पल के लिए हँसते हैं,
चल  एक पल के लिए रोते हैं,
सभी झगड़े भूलकर 
चल फिर से जीवन जीते हैं।

जरा सी तुम नाराज हो 
जरा सा में तुमको मना लूँ 
अहंकार को भूल जाओ,
चल  फिर से जीवन जीते हैं।

क्षितिज अस्त होता सूरज है,
हवा ठंडी है,
एक दूसरे  की बाहों में एक दिन की थकान को भूल जाओ,
चल फिर से जीवन जीते हैं।

चिड़ियों की मीठी चहचहाहट है,
बहते फूल की मीठी सुगंध है,
हाथ में हाथ डाले, चलो एक दूसरे  के होठों को छूते हैं,
चल फिर से जीवन जीते हैं।

चल , कॉलेज और क्लासिस के बहाने फिर वापस मिलते हैं, 
चल उसी ही सिनेमा हॉल में मूवी देखते हैं, 
भूल जाओ लोगों की चिंता 
चल  फिर से जिंदगी जीते हैं 


चल  फिर साथ में एक कप में चाय का आनंद लेते हैं,
चल  वापस उस रेकडी पर मिलते थे। 
जो हुआ करता था अपना मीटिंग पॉइन्ट।

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काव्यमंच
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काव्यमंच किताब मैंने सभी लोगों के दिल की मनोभावनाओ को ध्यान में रखते हुए लिखी हैं। सभी रीडर्स की उत्सुकता को ध्यान में रखकर आगे भी बहेतरीन कविताएँ लिखूँगा। धन्यवाद 😊🙏

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