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चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम

27 मई 2016

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चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,
इक बार सही, तिनका-तिनका ही सही,
इक घर जोड़ दें हम,


आँधियों को माना की कुदरत मेहरबान है उनपर,
पर उन्हें भी आज दिखा दें की कमजोर नहीं हैं हम,
जिस वक़्त टूटता हुए लगे उन्हें हमारा आशियाना,
उसी वक़्त इस आशियाने में इक नयी ईंट जोड़ दें हम,


चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,
इक बार सही, तिनका-तिनका ही सही,
इक घर जोड़ दें हम.

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चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम

27 मई 2016
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चलो आज इनहवाओं का रुखमोड़ दें हम,इक बार नसही, तिनका-तिनकाही सही,इक घर जोड़दें हम,आँधियों को मानाकी कुदरत मेहरबानहै उनपर,पर उन्हें भीआज दिखा देंकी कमजोर नहींहैं हम,जिस वक़्त टूटताहुए लगे उन्हेंहमारा आशियाना,उसी वक़्त इसआशियाने में इकनयी ईंट जोड़दें हम,चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,इक बार न सही, तिनका-

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यार तुम अपने बाल बाँधा न करो।

27 मई 2016
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Increment चाहिए? ये लीजिए, ठेंगा!

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खा खु, आक-थू!

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कलम और बन्दूक की जंग!

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सूख चुका है सूखा – A Drought in Denial

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उत्तराखंड की आग, षड़यंत्र या इत्तेफाक?

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आप में से कई ने टीवी में, अख़बारों में और कभी-कभी सोशल मीडिया पर भी उत्तराखंड की आग के बारे में देखा, सुना या पढ़ा जरुर होगा. उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग का कारण आपको बढती गर्मी और हीट वेव जैसा अगर कुछ लग रहा है, तो फिर से सोचिये. ये एक प्राकृतिक घटना जैसी लगती है, लेकिन है नहीं. ये साजिश है. साजिश

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अश्क़ों में बयाँ , मेरा इश्क़ नही होगा.

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