चलो आज इन
हवाओं का रुख
मोड़ दें हम,
इक बार न
सही, तिनका-तिनका
ही सही,
इक घर जोड़
दें हम,
आँधियों को माना
की कुदरत मेहरबान
है उनपर,
पर उन्हें भी
आज दिखा दें
की कमजोर नहीं
हैं हम,
जिस वक़्त टूटता
हुए लगे उन्हें
हमारा आशियाना,
उसी वक़्त इस
आशियाने में इक
नयी ईंट जोड़
दें हम,
चलो आज इन हवाओं का रुख मोड़ दें हम,
इक बार न सही, तिनका-तिनका ही सही,
इक घर जोड़ दें हम.