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मन की चेतना

9 अगस्त 2015

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बिक रहा है धर्म अब, पथ भ्रष्ट है सब हो रहे, कह रहा जो सच यहाँ , नास्तिक उसे सब कह रहे, पूंछता है मन मेरा, क्यों मौन , सब मै मान लूँ , हो विरक्त धर्म से अब, अन्नत शक्ति का ध्यान लूँ ।

प्रदीप अर्श की अन्य किताबें

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मुझसे रूठे

25 जुलाई 2015
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अच्छा है सब मुझसे रूठे है, ये सच है सपने झूठे है, है जो वो मेरे अपने तो , क्यों मुझसे रूठे है| है महज दिखावा ये उनका , या सचमुच मुझसे रूठे है, है कोई गलती वो मुझसे कहदें , क्यों कहते मुझको झूठे है, हम स्नेह नहीं दिखा सकते , सबको नहीं समझा सकते, हम भूल गए सब कहते है, हम दिल से नहीं भुला सकते,| जो

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मन की चेतना

9 अगस्त 2015
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बिक रहा है धर्म अब, पथ भ्रष्ट है सब हो रहे,कह रहा जो सच यहाँ , नास्तिक उसे सब कह रहे,पूंछता है मन मेरा, क्यों मौन , सब मै मान लूँ ,हो विरक्त धर्म से अब, अन्नत शक्ति का ध्यान लूँ ।

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Adharon par atki hai baat............... - YouTube

9 अगस्त 2015
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अधरों पर अटकी है बात, तू आज पूरी कर दूँ |मेरी आधी है फरियाद , तू आज पूरी कर दूँ ||स्नेहिल निमंत्रण है हमारा , दुनिया कर रही परिहास हमारा ,ह्रदय हो रहा व्याकुल अब हे प्रिये तुम आओगे कब ,तू आजा इनको चुप कर दूँ …अधरों ………………………………………………….भया बावरा सब कहते है, खोये खोये हम रहते है ,सपन तेरे ही आठों पहर

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पुकार- मिलन की

9 अगस्त 2015
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अधरों पर अटकी है बात, तू आज पूरी कर दूँ |मेरी आधी है फरियाद , तू आज पूरी कर दूँ ||स्नेहिल निमंत्रण है हमारा , दुनिया कर रही परिहास हमारा ,ह्रदय हो रहा व्याकुल अब हे प्रिये तुम आओगे कब ,तू आजा इनको चुप कर दूँ …अधरों ………………………………………………….भया बावरा सब कहते है, खोये खोये हम रहते है ,सपन तेरे ही आठों पहर

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Arsh

15 अगस्त 2015
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अखंडता को खंडित कर रहे,हैं जाति,धर्म का द्वेष दिलों में भर रहे|ये पाखंडी देशद्रोही हैं,सत्ता की लालच में लड़ रहे|मिल रहा है मौन समर्थन देश के नेताओं का कुछ,हा ! हो रही है हत्या देश के अरमानों की, है दुःख।अभी हुआ है उजाला सूरज को चढ़ लेने दो,भारत को मत बांटो विश्व गुरु तो बन लेने दो |खुदगर्जी में जो म

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नमन | Arsh

15 अगस्त 2015
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नमन उनको जो गुमनाम हो गए,बांधे कफ़न मातृभूमि पर कुर्बान हो गए,आज़ादी की खूबसूरत मीनारों की,नीव की ईंट के सामान हो गए।

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अजनबी लड़की

28 सितम्बर 2015
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उस अजनबी लड़की की याद आज फिर आ गयी,गुमसुम से पड़े लबों पर मुस्कान फिर छा गयी। चेहरे पर लिए तबस्सुम, आँखों में समन्दर,होने लगी थी हलचल मेरे दिल के अंदर,वो शर्मीलापन, वो हंसी की खिलखिलाहट ,वो अचानक उसका चुप हो जाना,वो मेरे दिल की बेचैनी की आहट।उसकी अटखेलियां, वो सावन का मौसम,वो बारिश में भीगना, वो झूलों

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दिवाली

11 नवम्बर 2015
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हास्य परिपूर्ण जहाँ हो, ह्रदय ख्याली हो, जिद है अब, जब तुम मिलोगे, तो ही दिवाली हो।  

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ऐ खुदा

29 नवम्बर 2015
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ऐ खुदा, ऐ खुदा, तू मेरा क्यों न हुआ,झुकाये न सर , दर पर तो क्या हुआ,चाहा तुझे मैंने बहुत, मन में पूजा किया।ये खुदा न ख्वाहिशें की तुझसे, खुश रहा जो तूने दिया,की जो एक ख्वाहिश तो,तूने रुला दिया।ऐ खुदा अधूरे मेरे ख्वाब जो हैं, तेरे मेरे राज जो हैं ,होंगे पूरे, धीरे धीरे,होगी तेरी रज़ा। ऐ खुदा 

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तू ही मेरी अज़ान है,

29 नवम्बर 2015
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तू ही मेरी अज़ान है, गीता है, कुरान है, बातें तेरी हर लम्हे में साथ हैं,यादें तेरी करती न मुझको उदास हैं। सजदे करूँ, हर पल तेरे, तेरे बिन, सुना जहान है। तू ही................................ .तुझसे ही मेरा दिन चढ़े,तुझसे ही मेरी शाम ढले। दी है तू ने इन लबों पर ,हर पल मुस्कान है। तू ही.................

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