अच्छा है सब मुझसे रूठे है,
ये सच है सपने झूठे है,
है जो वो मेरे अपने तो ,
क्यों मुझसे रूठे है|
है महज दिखावा ये उनका ,
या सचमुच मुझसे रूठे है,
है कोई गलती वो मुझसे कहदें ,
क्यों कहते मुझको झूठे है,
हम स्नेह नहीं दिखा सकते ,
सबको नहीं समझा सकते,
हम भूल गए सब कहते है,
हम दिल से नहीं भुला सकते,|
जो प्रेम ह्रदय में होता है,
हरगिज न प्रकट होता है,
इस दिखावे की दुनिया में ,
‘अर्श’ इसे कौन समझता है !
अच्छा है सब मुझसे रूठे है,………………………………………|