वो बेहद गरीब और अनपढ़ थी , फटे पुराने कपड़े पहनती थी और रूखा सूखा खाती थी । पर अपने ही स्पष्ट विचारों से उसने अपने जीवन को सरस और प्रफुल्लित बना रखा था । और इसी ‘ बकरी बाई ‘ ने मुझे एक लेखिका बना दिया । ‘ चोरी के जेवर ‘ में जेवरों की चोरी ! किसके जेवर ? और क्यों हुई चोरी ? मामला इतना रुचिकर था कि मुझे लिखना ही पड़ा । एक मिसमैच ‘ शर्तिया शादी ‘ ने ऐसी समस्या पैदा कर दी कि जिसका हल शायद पाठकों के पास हो । सुन्दरता और धन से सब कुछ हासिल करने वालों को भी ऐसा दिन देखना पड़ा ! ये आपको ‘ फूलपुर की हसीना ‘ बतायेगी । ‘ स्काईलैब ‘ के गिरने की आशंका से उपजे निश्चित मौत के डर ने इन्सान को इतना निडर बना दिया कि बस पूछो ही मत । ‘ पान सिन्दूर , चावल ‘ का वो रहस्य क्या था ? कौन ऐसा कर रहा था और आखिर क्यों ?जानने के लिए आपको पढ़ना ही पड़ेगा । हमारा भारतीय समाज भी ऐसा रंगबिरंगा है कि जहाँ एक ओर स्नॉबिश , माडर्न ‘ अमेरिकन बुआ ‘ हमको हंसाती हैं , वहीं ‘ सातवीं फेल ‘ बालक हमे रुलाता है । आखिर ‘ एक हीरो दो हिरोइन ‘ का वो हैन्डसम , काबिल डाक्टर शहर छोड़ कर कहाँ भागा ? और उसके भागने की वजह ? और फिर उसके बाद ? हाँ , सब कुछ ऐसा ही तो हुआ था जैसा मैने लिखा है ।
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