"मुक्तक" देखिए तो कैसे वो हालात बने हैं।क्या पटरियों पै सिर रख आघात बने हैं।रावण का जलाना भी नासूर बन गया-दृश्य आँखों में जख़्म जल प्रपात बने हैं।।-1देखन आए जो रावण सन्निपात बने हैं।कुलदीपक थे घर के अब रात बने हैं।त्योहारों में ये मातम सा क्यूँ हो गया-क्या रावण के मन के सौगात बने हैं।।-2महातम मिश्र,
कहते हैं मेरा वतन बात-बात में वाण। आतंकी के देश से आया कैसे गैर- मिला मंच खैरात का नृत्य कर रहा भाण॥-१ लेकर आओ हौसला हो जाए दो हाथ। क्यों करते गुमराह तुम सबके मालिक नाथ। बच्चे सभी समान हैं तेरे मेरे लाल- उनसे छल तो मत करों खेलें खाएँ साथ॥-२शौर्य तुम्हारा देखता सीधा सकल ज