हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें....!
हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हेंजिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ नेजिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातेंढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन मेंघुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातेंउस पल मीठी-सी धुनघर के आँगन में सुनरोये मन-चैसर पर हार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर