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अध्याय २

17 मार्च 2022

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मामा के साथ रह कर बिताए क्षण जब न तब आंखों के सामने घूम से जाते।

हमेशा की तरह आज भी मैं झील के उस कोने पर जाकर बैठा था जहां से पानी में अठखेलियां करता चांद मुझे साफ नजर आता।

चांद उसका मामा नहीं हो सकता था उसमें उसको अपना ही चेहरा नजर आता था। वो जैसा करता चांद में उसे वैसा प्रतिबिंब नजर आता। चांद से उसकी गुफ्तगू उसे बहुत सुकून देती और ढेर सारे तारों से उसकी दोस्ती उसे बहुत मजा देती।घंटों वो उसमें खोया रहता और उसकी जिंदगी का वो सबसे हसीन पल होता।

आज वो धुंधलके से थोड़ा पहले आ गया था इसलिए भांपने में चूक हो गयी अगर चांद ने इशारा न किया होता।वो पलट के देखता तभी हरे रंग की फ्राक में पड़ोस की एक लड़की जो अक्सर उसे गहरी नजरों से देखा करती थी अल्हडता से आकर उसके बगल बैठ गई, वो थोड़ा चिहुंक कर सरक गया।

" तुम रोज यहां आकर बैठते हो ,क्यूं?"

मैंने बिना उसकी तरफ देखते हुए बेरूख़ी से कहा " पता नहीं"

वो उलझन भरी आंखों से मेरी तरफ देखते हुए फिर बोली_ "तूम्हारा कोई दोस्त नहीं है क्या?  

नहीं, क्यों...? मैं चिढ़ कर बोला।

"मुझसे दोस्ती करोगे" वो बोली।

मैंने ना में सिर हिला कर सीधे कहा " नहीं"।

वो कुछ देर मुझे देखती रही फिर कुछ बड़बड़ाते हुए पैर पटकती चली गयी।

मैंने गले से थूक निगलते हुए राहत की सांस ली कि तारों की खिलखिलाहट ने मुझे और चिढ़ा दिया, पास पड़ी कंकड़ी को जोर से झील में फेंका तो सब गायब हो गये। चांद ने मानो सरगोशी की "गलत बात है, दोस्त ही तो बना रही थी।"

" नहीं करनी मुझे दोस्ती वोस्ती, तुम सब ही काफी हो मेरे लिए।"

वो हंसकर बोला " बेवकूफ हो तुम।*

"हां हूं, तो तुमको क्या" चिढ़कर बोलते हुए मैं यूं ही लेट गया।कब मेरी आंख लग गई और मैं सो गया पता ही नहीं चला, वो तो जैसे चांद ने मेरे कानों में सरगोशी की " वो फिर आयी है।"

मैंने चिहुंक कर कुहनी के बल पलट के देखा तो उंचाई पर वो खड़ी थी मैं एकदम से हड़बड़ा कर उठ बैठा और तल्खी से बोला "क्या है।"

वो भी जैसे चिढ़कर बोली "तेरा मामा आया है, तुझे ढूंढ़ रहा है।" कहकर पैर पटकती चली गयी।

मैं हैरान था कि अचानक उसे मुझसे इतना मतलब कैसे?

मैं उठा और कपड़े झाड़ता अपनी कोठरी की ओर जाने वाले रास्ते पे चल पड़ा, जबकि वो तब तक छू मंतर हो चुकी थी न जाने किस ओर।

डाॅ.राजेश मिश्रा "राज" की अन्य किताबें

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रचनाएँ
हादसा
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एक हादसा जिंदगी को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है जहां से बदकिस्मती किस्मत में बदलनी शुरू हो जाती है।अनजाने रास्ते, अजनबी दोस्त, अकस्मात घटनाएं किसी की जिंदगी का रूख कैसे मोड़ देती हैं कि एक शख्सियत खाक से शाह हो जाती है। यह किताब एक अनजान शख्सियत के जीवन में घटित हादसों पर आधारित है।
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अध्याय १

17 मार्च 2022
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मेरा जन्म होना और संसार में मेरा प्रथम रुदन हादसे की एक शुरुआत थी, दाई की नाक पे मेरे पैर की पहली चोट मेरे आक्रोश का जैसे ज्वलंत उदाहरण थी। मां की छाती का प्रथम दिवस दुग्धपान मेरे जीवन की सबसे अनमोल

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अध्याय २

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मामा के साथ रह कर बिताए क्षण जब न तब आंखों के सामने घूम से जाते। हमेशा की तरह आज भी मैं झील के उस कोने पर जाकर बैठा था जहां से पानी में अठखेलियां करता चांद मुझे साफ नजर आता। चांद उसका मामा नहीं हो स

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अध्याय ३

17 मार्च 2022
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बजरंगी नाम था उसका जब झुमरू ने नाम लेके सलाम ठोंका तब वो जान पाया, हिसाब में लिख लेना ये कहकर मेरा हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए अंदाज में बाहर लेके आया और साइकिल के डण्डे पे बिठाकर अपने घर की ओर चल पड़ा

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अध्याय ४

17 मार्च 2022
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मामा शराब पी के आया था, साथ में वो अधेड़ औरत भी थी और वो भी नशें में लग रही थी.... बोला "कहां मर गया था", जा चच्चा के यहां से पकौड़े और चना लेके आ। मैं तुरंत बाहर निकल गया क्योंकि मामा तब तक उसके गिर

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अध्याय ५

17 मार्च 2022
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बजरंगी अभी वापस नहीं आया था। मैं चटाई पे बिंदिया की तरफ पीठ करके लेट गया और वो घर का काम करने लगी।  मैं जब भी उसकी तरफ ध्यान ले जाता तो उसके दिमाग में जो चल रहा होता वही मुझे स्पष्ट सुनाई देता, जैसे

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अध्याय ६

17 मार्च 2022
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शाम को आदतवश मैं झील के किनारे अपनी जगह पर नियत समय पर जाकर बैठ गया जहां से सामने और झील में एकसाथ चांद दिखता था और तारे शरारत करते थे।  चांद दुबला हो गया था और बार बार बादलों की ओट में चला जा रहा था

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अध्याय ७

17 मार्च 2022
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सुबह पांच बजे की गाड़ी पर ड्यूटी थी बजरंगी की, रात में किसी दावत से देर से लौटा था। मैं समझ गया था कि सुबह मुझे ही जाना पड़ेगा इसलिए मैं जल्दी सोने के लिए लेट गया। दो तीन दिन से मैं देख रहा था कि बबु

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अध्याय ८

17 मार्च 2022
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अचेतावस्था में ही साधू बाबा की छवि नजर आई , वो मुस्कुराते हुए आशीर्वाद की मुद्रा में बोले, "वत्स, इस आंखों से मन में झांक लेने की इस विद्या का प्रयोग इतनी दूरी से और अस्थिर गति वाले शरीर पर करने से मस

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अध्याय ९

17 मार्च 2022
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रात शुरू नहीं हुई थी अभी और एक साउन्डप्रूफ एयरकंडीशन्ड वेल फर्निस्ड विशाल मोहगनी की मेज के पीछे बैठे प्रधानमंत्री की चश्मे के पीछे से झांकती आंखों का ताव नहीं ले पाया मैं और नजदीक जाकर पैर छूते हुए झु

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अध्याय १०

17 मार्च 2022
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सुबह मेरी शूटिंग प्रैक्टिस का आखिरी दिन था, जो तकरीबन पूरा हो चुका था और मैंने अपने लिए ३८ कैलिबर की दो स्मिथ एन्ड वैसन पसन्द की जो मेरी फेवरेट हो चुकी थी। अभी मैं उसे अपने होलस्टर में जादू के जोर स

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अध्याय ११

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अध्याय १२

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सुबह सवेरे सिक्रेट सर्विस हैडक्वार्टर से काली टेस्ला कार विक्रम गोखले और मोना राजपूत को लेकर सीधी एअरपोर्ट पहुंची जहां से उन्हें युगांडा की राजधानी कंपाला पहुंचने के लिए ऐंटेबी एअरपोर्ट उतरना था। मोन

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अध्याय १३

19 मार्च 2022
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प्लेन के रनवे पर दौड़ने और ६०,००० फिट ऊपर ऊंचाई पर पहुंचने तक मोना अपना सिर विक्की के कंधे पर टिकाये रखी और उस सुकून में उसकी आंखें मुंद गई।  एक हिचकोले के साथ प्लेन में जबरदस्त कम्पन होने से उसकी आं

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अध्याय १४

19 मार्च 2022
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होटल से कार हायर कर विक्रम मोना को लेकर विक्टोरिया झील की ओर ड्राइव कर रहा था।  ड्राइविंग इस देश में दायीं ओर थी। जैसे ही उसने राइट टर्न लिया बांई ओर से दौड़ कर आती एक घबराई सी लड़की उसकी कार से टकरा

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अध्याय १५

19 मार्च 2022
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बर्धमान को आपरेशन के बाद पानी के जहाज से लड़कियों समेत देश से बाहर निकल जाने की व्यवस्था का निर्देश उसने पहले दे दिया था जब अपनी सहूलियत के सामान और आर्म्स उसने मंगवाये थे। तय हो चुका था मोना आक्रमण

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