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अध्याय १

17 मार्च 2022

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मेरा जन्म होना और संसार में मेरा प्रथम रुदन हादसे की एक शुरुआत थी, दाई की नाक पे मेरे पैर की पहली चोट मेरे आक्रोश का जैसे ज्वलंत उदाहरण थी।

मां की छाती का प्रथम दिवस दुग्धपान मेरे जीवन की सबसे अनमोल पेट पूजा थी जो कि अगले दिवस उनकी मृत्यु ने सर्वदा के लिए ये पूजा तिरोहित कर दी, बस ये रस्म भर रह गयी आजीवन। 

बडे़ होने पर धाय मां सुनके ऐसी मां होने का पता चला जो मेरे जीवन में नहीं थी, मजे की बात तो ये है कि मैं चाय पी कर बड़ा हुआ।दरअसल वो दूसरा दिन ही मेरे जीवन के सफर की शुरुआत हो गई जब मेरा शराबी मामा मुझे लेकर एक दूसरी जगह अपनी झोपड़ी जो नाम की कोठरी थी में ले गया। 

विदित हो कि पिता नाम की परछाई तक भी मुझ पर नहीं पड़ी कभी।

मामा शराब पीता था और मैं चाय, पता नहीं वो नहाता था या नहीं पर मैं अक्सर मूत के उसको नहला दिया करता था।ये सिलसिला यूं ही चलता रहता अगर मामा को पुलिस पकड़ कर ना ले गयी होती। 

मैं फिर एक दूसरे हाथों में दयावश शायद पहुंच गया जो एक अधेड़ औरत थी जो अक्सर मामा के साथ उस झोपडी में हमबिस्तरी करती थी। 

मेरी शैशव अवस्था उनको निहारते, समझते बीती जो युवकों की जानने और देखने की ख्वाहिश हुआ करती थी। जीवन की पढ़ाई लिखाई मेरी अपनी समझ से विकसित हो रही थी।

एक दिन पता चला कि मामा जेल में ही मर गया।उस औरत का रूप, व्यवहार उसी दिन से मेरे लिये बदलने लगा।अक्सर अब वो अकेले होने पर मुझे समझने, टटोलने लगती और मैं सांस रोके वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश करता रहता और अपने शरीर में एक अकड़ सी महसूस करता।शरीर के बढ़ते जाने और मजबूत होने में मेरा कोई योगदान नहीं था ,यह कुदरती था। एक दिन नशें में धुत्त संसर्ग की उसकी कठोर चाह ने मुझे आंदोलित कर वो ठिकाना छोड़ देने पर मजबूर कर दिया जो अब तक मेरी पनाहगाह थी, मेरी उम्र तब १० वर्ष की थी।

सुबह चुपके से उसकी बाहों के बीच से सरक कर अंधेरे में अपनी तुडी़ मुड़ी सलवटों से भरी शर्ट और आगे से बिना बटन की खुली पैंट अपने नंगे बदन पर डाल कर मैं निकल पड़ा तीसरे सफर की शुरुआत पर। जीवन में दो कामों के अलावा मैने सब जाना ,एक तो रोना और दूसरा डरना। 

हंसते हुए अगर कोई पैदा हो सकता है तो वो सिर्फ मैं ही था। मैं हर उस चीज में शामिल था जो मेरे साथ हो रही थी और मैं वैसे ही बहता गया जैसे जीवन की धारा मुझे बहाती गई।मेरा रूख सुबह के हल्के उजाले में सीधा स्टेशन की तरफ था जहां से मुझे कहीं की भी रेल मिल जाती।

छोटा सा स्टेशन,बिना चहल पहल का प्लेटफार्म और दो ही लाइन जिसके एक नं० पर कोई ट्रेन खड़ी थी और शायद चलने को तैयार थी क्योंकि कई डिब्बों में यात्री सवार थे।

मैं सामने वाले जनरल डिब्बे में चढ़ गया और उस खाली डिब्बे के एक कोने में सरक के सिमट गया, उस डिब्बे में लाइट नहीं थी। 

कब ट्रेन चली कब मैं सो गया मुझे कोई खबर नहीं।खबर तो तब हुई जब गाड़ी अपने गंतव्य पर पहुंच गयी और खाली ट्रेन के सफाई कर्मचारी ने झकझोर कर मुझे जगाया और प्रश्नों भरी नजर से मेरी तरफ देखते हुए बोला...कहां जाना था तेरे को , कोई साथ नहीं?  

मैंने ना में सर हिलाया तो बोला कुछ खाया - वाया है? 

मैंने फिर सर ना में हिलाया तो बोला चल उठ आ मेरे साथ।

वो मुझे सामने स्टाॅल पर ले गया और बोला 'रे झुमरू , इस लौडे को कुछ खिला पिला मैं अभी आया" कहकर वो फिर सफाई करने चला गया।

डाॅ.राजेश मिश्रा "राज" की अन्य किताबें

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

मैंने आपकी पुस्तक खरीदी आपने अच्छा लिखा है ,सर आप मेरी कहानी प्यार का प्रतिशोध पढ़कर समीक्षा जरूर दें 🙏

3 जुलाई 2023

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रचनाएँ
हादसा
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एक हादसा जिंदगी को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है जहां से बदकिस्मती किस्मत में बदलनी शुरू हो जाती है।अनजाने रास्ते, अजनबी दोस्त, अकस्मात घटनाएं किसी की जिंदगी का रूख कैसे मोड़ देती हैं कि एक शख्सियत खाक से शाह हो जाती है। यह किताब एक अनजान शख्सियत के जीवन में घटित हादसों पर आधारित है।
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अध्याय १

17 मार्च 2022
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मेरा जन्म होना और संसार में मेरा प्रथम रुदन हादसे की एक शुरुआत थी, दाई की नाक पे मेरे पैर की पहली चोट मेरे आक्रोश का जैसे ज्वलंत उदाहरण थी। मां की छाती का प्रथम दिवस दुग्धपान मेरे जीवन की सबसे अनमोल

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अध्याय २

17 मार्च 2022
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मामा के साथ रह कर बिताए क्षण जब न तब आंखों के सामने घूम से जाते। हमेशा की तरह आज भी मैं झील के उस कोने पर जाकर बैठा था जहां से पानी में अठखेलियां करता चांद मुझे साफ नजर आता। चांद उसका मामा नहीं हो स

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अध्याय ३

17 मार्च 2022
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बजरंगी नाम था उसका जब झुमरू ने नाम लेके सलाम ठोंका तब वो जान पाया, हिसाब में लिख लेना ये कहकर मेरा हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए अंदाज में बाहर लेके आया और साइकिल के डण्डे पे बिठाकर अपने घर की ओर चल पड़ा

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अध्याय ४

17 मार्च 2022
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मामा शराब पी के आया था, साथ में वो अधेड़ औरत भी थी और वो भी नशें में लग रही थी.... बोला "कहां मर गया था", जा चच्चा के यहां से पकौड़े और चना लेके आ। मैं तुरंत बाहर निकल गया क्योंकि मामा तब तक उसके गिर

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अध्याय ५

17 मार्च 2022
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बजरंगी अभी वापस नहीं आया था। मैं चटाई पे बिंदिया की तरफ पीठ करके लेट गया और वो घर का काम करने लगी।  मैं जब भी उसकी तरफ ध्यान ले जाता तो उसके दिमाग में जो चल रहा होता वही मुझे स्पष्ट सुनाई देता, जैसे

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अध्याय ६

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शाम को आदतवश मैं झील के किनारे अपनी जगह पर नियत समय पर जाकर बैठ गया जहां से सामने और झील में एकसाथ चांद दिखता था और तारे शरारत करते थे।  चांद दुबला हो गया था और बार बार बादलों की ओट में चला जा रहा था

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अध्याय ७

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सुबह पांच बजे की गाड़ी पर ड्यूटी थी बजरंगी की, रात में किसी दावत से देर से लौटा था। मैं समझ गया था कि सुबह मुझे ही जाना पड़ेगा इसलिए मैं जल्दी सोने के लिए लेट गया। दो तीन दिन से मैं देख रहा था कि बबु

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अध्याय ८

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अचेतावस्था में ही साधू बाबा की छवि नजर आई , वो मुस्कुराते हुए आशीर्वाद की मुद्रा में बोले, "वत्स, इस आंखों से मन में झांक लेने की इस विद्या का प्रयोग इतनी दूरी से और अस्थिर गति वाले शरीर पर करने से मस

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अध्याय ९

17 मार्च 2022
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रात शुरू नहीं हुई थी अभी और एक साउन्डप्रूफ एयरकंडीशन्ड वेल फर्निस्ड विशाल मोहगनी की मेज के पीछे बैठे प्रधानमंत्री की चश्मे के पीछे से झांकती आंखों का ताव नहीं ले पाया मैं और नजदीक जाकर पैर छूते हुए झु

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अध्याय १०

17 मार्च 2022
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सुबह मेरी शूटिंग प्रैक्टिस का आखिरी दिन था, जो तकरीबन पूरा हो चुका था और मैंने अपने लिए ३८ कैलिबर की दो स्मिथ एन्ड वैसन पसन्द की जो मेरी फेवरेट हो चुकी थी। अभी मैं उसे अपने होलस्टर में जादू के जोर स

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अध्याय ११

17 मार्च 2022
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चीफ ने मुझे और मोना को एक साथ डिनर पर इन्वाइट किया था। मोना नार्मल फिरोजी कलर के सूट में परम्परागत भारतीय लड़की के रूप में और मैं डेनिम की ब्लू जीन्स और व्हाइट शर्ट में हल्की दाढ़ी मूंछ, हाथों में ब्र

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अध्याय १२

19 मार्च 2022
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सुबह सवेरे सिक्रेट सर्विस हैडक्वार्टर से काली टेस्ला कार विक्रम गोखले और मोना राजपूत को लेकर सीधी एअरपोर्ट पहुंची जहां से उन्हें युगांडा की राजधानी कंपाला पहुंचने के लिए ऐंटेबी एअरपोर्ट उतरना था। मोन

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अध्याय १३

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प्लेन के रनवे पर दौड़ने और ६०,००० फिट ऊपर ऊंचाई पर पहुंचने तक मोना अपना सिर विक्की के कंधे पर टिकाये रखी और उस सुकून में उसकी आंखें मुंद गई।  एक हिचकोले के साथ प्लेन में जबरदस्त कम्पन होने से उसकी आं

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अध्याय १४

19 मार्च 2022
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होटल से कार हायर कर विक्रम मोना को लेकर विक्टोरिया झील की ओर ड्राइव कर रहा था।  ड्राइविंग इस देश में दायीं ओर थी। जैसे ही उसने राइट टर्न लिया बांई ओर से दौड़ कर आती एक घबराई सी लड़की उसकी कार से टकरा

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अध्याय १५

19 मार्च 2022
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बर्धमान को आपरेशन के बाद पानी के जहाज से लड़कियों समेत देश से बाहर निकल जाने की व्यवस्था का निर्देश उसने पहले दे दिया था जब अपनी सहूलियत के सामान और आर्म्स उसने मंगवाये थे। तय हो चुका था मोना आक्रमण

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