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डॉ चंद्रेश कुमार छ्तलानी के बारे में

सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)लेखन - लघुकथा, कविता, गीत, कहानी, बालकथा, लेख, पत्र

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डॉ चंद्रेश कुमार छ्तलानी की पुस्तकें

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आतंकवादियों से लड़ते समय शहीद हुए सैनिक के शव का जैसे ही गाँव के पास पहुँचने का सन्देश मिला, तो पूरे परिवार के सब्र का बाँध टूट गया। उसकी माँ और पत्नी कर क्रंदन हृदय विदारक था।जब से उसकी शहादत का पता चला था, उसी समय से उसकी पत्नी उसकी तस

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<p>आतंकवादियों से लड़ते समय शहीद हुए सैनिक के शव का जैसे ही गाँव के पास पहुँचने का सन्देश मिला, तो पूरे परिवार के सब्र का बाँध टूट गया। उसकी माँ और पत्नी कर क्रंदन हृदय विदारक था।</p><br><p>जब से उसकी शहादत का पता चला था, उसी समय से उसकी पत्नी उसकी तस

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kavitaMereZarooriKaam

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एक अतुकांत कविता।

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<p>एक अतुकांत कविता। </p>

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डॉ चंद्रेश कुमार छ्तलानी के लेख

सब्ज़ी मेकर (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आंच पर कड़ाही में रखे तेल की गर्माहट के साथ उसके हृदय की गति भी बढ रही थी। उसी समय मिक्सर-ग्राइंडर जैसी आवाज़ निकालते हुए मिनी स्कूटर पर सवार उसके छोटे भाई ने रसोई में आकर उसकी तंद्रा भंग की। वह उसे देखकर नाक-मुंह सिकोड़कर चिल

एक गिलास पानी (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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उस सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था और सभी से तेज़ स्वर में बात कर रहा था। उस समय भी एक महिला को डांटते हुए वह कह रहा था, "आपको ज़रा भी पता नहीं चलता, यह फॉर्म भर कर लायीं हैं, कुछ भी सही नहीं। सरकार ने फॉर्म फ्री कर रखा है तो कुछ भी भर दो,

वैध बूचड़खाना (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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सड़क पर एक लड़के को रोटी हाथ में लेकर आते देख अलग-अलग तरफ खड़ीं वे दोनों उसकी तरफ भागीं। दोनों ही समझ रही थीं कि भोजन उनके लिए आया है। कम उम्र का वह लड़का उन्हें भागते हुए आते देख घबरा गया और रोटी उन दोनों में से गाय की तरफ फैंक कर लौट गया। दूसरी तरफ से भागती आ रही भैंस त

शह की संतान (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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तेज़ चाल से चलते हुए काउंसलर और डॉक्टर दोनों ही लगभग एक साथ बाल सुधारगृह के कमरे में पहुंचे। वहां एक कोने में अकेला खड़ा वह लड़का दीवार थामे कांप रहा था। डॉक्टर ने उस लड़के के पास जाकर उसकी नब्ज़ जाँची, फिर ठीक है की मुद्रा में सिर हिलाकर काउंसलर से कहा, "शायद बहुत ज़्यादा

मैं पानी हूँ (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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"क्या... समझ रखा है... मुझे? मर्द हूँ... इसलिए नीट पीता हूँ... मरद हूँ... मुरद...आ"ऐसे ही बड़बड़ाते हुए वह सो गया. रोज़ की तरह ही घरवालों के समझाने के बावजूद भी वह बिना पानी मिलाये बहुत शराब पी गया था.कुछ देर तक यूं ही पड़ा रहने के बाद वह उठा. नशे के बावजूद वह स्वयं को बह

बुनियादी कमाई (लघुकथा)

25 अप्रैल 2018
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जवानीमें बिछड़े दो दोस्त बुढ़ापे में एक खेल के मैदान में मिले। गले मिलते हुए सीढ़ियों पर फिसल गये। वहीँबैठे-बैठे एक ने पूछा, "तूने कितना धन कमाया है?""ज्यादानहीं बस गुजारा हो जाता है।""इसकामतलब जिंदगी ईमानदारी में गुजार दी। कमाने के लिये कहीं न कहीं बेईमानी कीबुनियाद रखनी भी ज़रूरी होती है" पहला हँसते ह

मृत्युंजय (लघुकथा)

13 जनवरी 2018
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आतंकवादियों से लड़ते समय शहीद हुए सैनिक के शव का जैसे ही गाँव के पास पहुँचने का सन्देश मिला, तो पूरे परिवार के सब्र का बाँध टूट गया। उसकी माँ और पत्नी कर क्रंदन हृदय विदारक था।जब से उसकी शहादत का पता चला था, उसी समय से उसकी पत्नी उसकी तस

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