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एक मुलाक़ात बरसों के बाद

1 मार्च 2022

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आज बहुत  बरसो के  बाद  देखा  तुमको
उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो
कंही कंही से सफ़ेद हो गए है बाल तुम्हारे
बाकी जूडा अब भी पहले सा ही करती  हो
देखा तुम्हे तो सोचा आवाज़ दें कर पुकारूँ
या बस यूँ ही दूर से देर तक तुमको निहारुँ
देखूँ आज भी मेरी आवाज़ पर पलटती हो
आज बहुत  बरसो  के बाद  देखा  तुमको
उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो
क्या सामने से जा कर बात करूँ तुमसे  मै
या कांधे पर हाथ रखकर धीरे से आवाज़ दूँ
फिर तुम ही देख लो ना मुझे भीड़ में खुद से
या मै तुमको अपने होने का कोई अहसास दूँ
क्या आज भी मुझे पहले सा ही समझती हो
आज बहुत  बरसो  के  बाद  देखा  तुमको
उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो
उम्मीद है तुम मुझको आज  पहचान लोगी
या ज़माने के आगे तुम कुछ अंजान बनोगी
क्या मिलवाओगी मुझे तुम परिवार वालो से
फिर से अंजान ही कहकर नज़रे चुरा लोगी
पुराने बाजार के इत्र में आज भी महकती हो
आज बहुत  बरसो के बाद  देखा  तुमको
उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो
चलो रहने दूँ आज तुमसे मिलने का इरादा
कियों ज़माने  के आगे तुमको परेशान करूँ
थोड़ी  हिचकिचाहट सी मुझे  भी  हो रही  है
कियों न दूर से तुमको मै आज भी देखा करूँ
महरून शॉल भी किस अदा से पकड़ती हो
आज बहुत  बरसो के  बाद  देखा  तुमको
उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो 

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Pooja yadav shawak 

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