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उठो नारी प्रहार करो

2 अक्टूबर 2020

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है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो

फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो

भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो

नरभक्षी पिशाचों की गर्दन पर तुम तलवार धरो

है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो

फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो

गुड़ियों के ब्याह में यूँ न व्यर्थ करो तुम बालपन

होकर सबल खुद को एक योद्धा सा तैयार करो

भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो



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धन्यवाद

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हीरो

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उठो नारी प्रहार करो

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है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो नरभक्षी पिशाचों की गर्दन पर तुम तलवार धरो है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो गुड़ियों के ब्याह में यूँ

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जब से घर से दूर रहने लगें है

25 जून 2021
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