फना करके कई सपने मेरा किरदार ज़िंदा है।।
कहानी में महज अब तो मेरा यह प्यार ज़िंदा है।।
गिरेबाँ तक किसी के हाथ को आने नहीं दूंगा।
तुझे किस बात का डर है तेरा ये यार ज़िंदा है।।
किसी को दोष क्या दूं मै मुकद्दर है यही मेरा।
कि अपना घर जला करके मेरा फनकार ज़िंदा है।।
*गिरीश पाठक*
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