दिनांक 13 सितंबर को स्थापना एवं 23 सितंबर को गणेश विसर्जन
दिनांक 13 सितंबर को चतुर्थी तिथि 2:58 तक एवं स्वाति नक्षत्र चंद्र तुला राशि में
योग रहेगा।
स्थापना समय-
स्थापना दिन में ही की जाना चाहिए क्योंकि गणेश जी का जन्म मध्यान्ह समय हुआ है इसलिए मध्यान काल विशेष रूप से स्थापना के लिए श्रेष्ठ है। भगवान श्री गणेश भगवान श्री गणेश जी की जन्म लगनका समय 8:38 से 10:53 बजे तक है।
इसके साथ ही तुला लग्न 1:10 से 3:15 तक अनुकूल सिद्ध होगी इस समय होरा काल भी उत्तम है।
किस प्रकार की गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाना चाहिए ?
स्कंद पुराण के अनुसार सूप की तरह बड़े कान सर्प यज्ञोपवीत की तरह हाथों में पाठ एवं अंकुश धारण किए हुए एक दांत वाली मूर्ति अधिक उत्तम रहेगी इसके साथ ही प्रतिमा करण सिलेटी या काला मिश्रित श्रेष्ठ होगा सुन यदि दाहिनी तरफ हो तो यह एक श्रेष्ठ प्रतिमा होगी
चतुर्थी तिथि के कारण चंद्र दर्शन वर्जित होता है।
भविष्य पुराण के अनुसार भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम शिवा है ।
इस में स्नान दान जप और उपवास आदि का सौ गुना फल प्राप्त होता है ।इस का विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियां इस दिन गुड़ की नमक और मीठी पूरी को अपने सास-ससुर को प्रदान करें इससे उनके सुख सौभाग्य वृद्धि होती है।
गणेश पुराण के अनुसार शिवप्रिया पार्वती जी के द्वारा 12 वर्ष कठोर तपस्या के पश्चात गणेश जी अपने पुत्र के रुप में अवतरित होने का वचन दिया।
इस प्रकार भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय सोमवार के दिन स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में जगत माता शिवानी गणेश जी के अवतरित होने पर उनकी पूजा की।
वरदा तिथि के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई चतुर्थी तिथि सभी तिथियों की जननी कहलाती है ।
चतुर्थी तिथि को मध्यान्ह काल में गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है।
हाथ में जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर सर्व कार्य सिद्धि सिद्धि विनायक पूज नम अहम करिष्ए।
इतना कहकर जल पृथ्वी पर छोड़ दें ।
गणेश जी का मंत्र- गं गणपतए नमः ।
13 जप करें।
मोदक अर्पित करें -
विघ्नानी नाशं आयान्तू सर्वाणी सुरनायक ।कार्यम सिद्धिं आयातु पुजिते त्वयि धातरि ।
Regards
Jyotish Shiromani V.K Tiwari
9424446706
दिनांक 13 सितंबर को चतुर्थी तिथि 2:58 तक एवं स्वाति नक्षत्र चंद्र तुला राशि में
योग रहेगा।
स्थापना समय-
स्थापना दिन में ही की जाना चाहिए क्योंकि गणेश जी का जन्म मध्यान्ह समय हुआ है इसलिए मध्यान काल विशेष रूप से स्थापना के लिए श्रेष्ठ है। भगवान श्री गणेश भगवान श्री गणेश जी की जन्म लगनका समय 8:38 से 10:53 बजे तक है।
इसके साथ ही तुला लग्न 1:10 से 3:15 तक अनुकूल सिद्ध होगी इस समय होरा काल भी उत्तम है।
किस प्रकार की गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाना चाहिए ?
स्कंद पुराण के अनुसार सूप की तरह बड़े कान सर्प यज्ञोपवीत की तरह हाथों में पाठ एवं अंकुश धारण किए हुए एक दांत वाली मूर्ति अधिक उत्तम रहेगी इसके साथ ही प्रतिमा करण सिलेटी या काला मिश्रित श्रेष्ठ होगा सुन यदि दाहिनी तरफ हो तो यह एक श्रेष्ठ प्रतिमा होगी
चतुर्थी तिथि के कारण चंद्र दर्शन वर्जित होता है।
भविष्य पुराण के अनुसार भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम शिवा है ।
इस में स्नान दान जप और उपवास आदि का सौ गुना फल प्राप्त होता है ।इस का विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियां इस दिन गुड़ की नमक और मीठी पूरी को अपने सास-ससुर को प्रदान करें इससे उनके सुख सौभाग्य वृद्धि होती है।
गणेश पुराण के अनुसार शिवप्रिया पार्वती जी के द्वारा 12 वर्ष कठोर तपस्या के पश्चात गणेश जी अपने पुत्र के रुप में अवतरित होने का वचन दिया।
इस प्रकार भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय सोमवार के दिन स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में जगत माता शिवानी गणेश जी के अवतरित होने पर उनकी पूजा की।
वरदा तिथि के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई चतुर्थी तिथि सभी तिथियों की जननी कहलाती है ।
चतुर्थी तिथि को मध्यान्ह काल में गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है।
हाथ में जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर सर्व कार्य सिद्धि सिद्धि विनायक पूज नम अहम करिष्ए।
इतना कहकर जल पृथ्वी पर छोड़ दें ।
गणेश जी का मंत्र- गं गणपतए नमः ।
13 जप करें।
मोदक अर्पित करें -
विघ्नानी नाशं आयान्तू सर्वाणी सुरनायक ।कार्यम सिद्धिं आयातु पुजिते त्वयि धातरि ।
Regards
Jyotish Shiromani V.K Tiwari
9424446706