shabd-logo

घरेलु हिंसा

9 अगस्त 2022

17 बार देखा गया 17

आज का विषय है "घरेलु हिंसा" घरेलु हिंसा नाम सुनते ही महिलाओं की उत्पीड़न सामने आ जाती है लेकिन मेरा मानना है कि सिर्फ महिलाये ही नहीं पुरुष भी घरेलु हिंसा का शिकार होते हैं, कभी कानून के बनाए नियम को महिलाओं द्वारा गलत तरीके से उपयोग होने पर तो कभी अपनी मान प्रतिष्ठा को बरकरार रखने के लिए।

समय कम है इसी में कुछ लिखने का प्रयास की हूं उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगा 🙏🙏

होती हैं आखेट महिलाये,

जिसे हिंसा घरेलु कहते हैं।

हमने तो पुरूषों को भी अक्सर,

हिंसाआखेट का होते देखा है।।

माना दहेज के लिए पुरुषों को,

जलाया नहीं जाता है।

हमने तो रफ़्ता-रफ़्ता पुरूषों को,

दहेज के झूठे नाम पर गलते देखा है।।

हो जाती है दूर परिवार से स्त्रियां

ये तो रीत समाज की होती है।

हमने तो पुरुषों को भी अक्सर ,

विरह की अग्नि में तपते देखा है।।

अनपढ़ हो ग़र स्त्री तो क्या?

पुरूष के बाहों का वो हार फिर भी बनती है।

हमने तो निरक्षर पुरुषों को अक्सर,

कुशल स्त्री के कदम चुमते देखा है।

रो लेती है महिलाये जी भर,

हर दर्द छोटी सी ज़ख्मों में।

हमने तो पुरूषों में आंसुओ के

सागर को एक बूंद में दबते देखा है।।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए