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गुरु पूर्णिमा

3 जुलाई 2023

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                   गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है क्योंकि आज के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का आज से करीब 3000 वर्ष पूर्व जन्म हुआ था.सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं।
                इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करने के बाद नहा लें और फिर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा का संकल्प लें और एक साफ-सुथरी जगह पर एक सफेद वस्त्र बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें. इसके बाद गुरु व्यास की प्रतिमा उस पर स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित करें. आज, 3 जुलाई, 2023 को दुनिया भर के हिंदू गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं, जो सनातन धर्म परंपरा में अत्यधिक महत्व का दिन है । यह शुभ दिन गुरु या शिक्षक के महत्व को सम्मानित करने के लिए समर्पित है, जो ज्ञान और आत्मज्ञान के मार्ग पर व्यक्तियों का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।    गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे कारण यह है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा के संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अंश स्वरूप कलावतार हैं। उनके पिता का नाम ऋषि पराशर तथा माता का नाम सत्यवती था। देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं - भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। शास्त्र की व्याख्या करते कथा व्यास कहते हैं कि शास्त्र कहता है कि सबसे बड़ा भगवान, उससे बड़ा गुरु, गुरु से बड़ा पिता तथा पिता से भी बड़ा है मां का स्थान। होता हैं।
                गुरु पूर्णिमा, गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा, गुरु पूजा और कृतज्ञता का दिन है। इस दिन परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति के रूप में ब्रह्मा के चार मानसपुत्रों को वेदों का ज्ञान प्रदान किया था और इसी दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी का जन्मदिन भी है। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। हर साल गुरु के प्रति अपनी आस्था दिखाने के लिए आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन राशि अनुसार गुरु और विष्णु जी की पूजा, दान और मंत्र जाप करने से धन, सुख, समृद्धि में वृद्धि होती है और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
                  संस्कृत में, "गुरु" शब्द का अर्थ "शिक्षक" या "आध्यात्मिक मार्गदर्शक" है। इसलिए, गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत और नेपाल के कई क्षेत्रों में अपने गुरुओं, या आध्यात्मिक और शैक्षणिक शिक्षकों को श्रद्धांजलि देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के तरीके के रूप में मनाया जाता है।  गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है. वेद व्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं. उन्होंने मानव जाति को पहली बार चार वेदों का ज्ञान दिया था, इसलिए उनको मानव जाति का प्रथम गुरु माना जाता है.
                आओ हम सभी अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं 
                   
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गुरु पूर्णिमा
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हम सभी के जीवन में गुरु होते हैं वैसे शास्त्र में तो माता पिता को ही सभी सम्मानित है बस आज आधुनिक समय है। बस हम सभी जानतें हैं समझते हुए और पढ़ें

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