शीर्षक - दोस्त सुनीता कॉलेज की कैंटीन में चाय कॉफी पीते थे इधर सुनीता अनिल को उसकी समझदारी गंभीरता के लिए एक अच्छी दोस्त और चाहती भी थी दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते थे परंतु अनंत भी सुनीता को मन ही मन में प्रेम करता था और वह सुनीता से शादी भी करना चाहता था परंतु सुनीता तो अनिल को जाती थी यह बात अनंत को मालूम थी बस जीवन में एक सच है कि अच्छे कामों में या दिल के मामलों में हम कहीं ना कहीं अपना स्वार्थ दिखा देते है। अनिल एक मजबूर और अनाथ बेसहारा
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