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भाग १ - झुक गई नफरत

4 जनवरी 2023

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सपना अपने घर से निकली और रात के काले सन्नाटे में शहीद सेतु की तरफ चल पड़ी, उसके सामने सीर्फ और सीर्फ एक ही लक्ष्य था , शहीद सेतु से कूदकर नदी के गहरे जल में अपनी जल समाधी लेना , अपने लक्ष्य के तरफ लगातार वह बढती रही और सेतु के रेलिंग पर चढकर नदी के गहरे जल में कूद गई - परन्तु कूदने से पहले एक तेज रफतार बाईक से आ रहे नवयुवक की निगाहों में आ गई । वहाँ पहुचते ही वह नवयुवक आनन फानन में अपनी बाईक सेतु पर खड़ा करके , उस नवयुवती को बचाने के लिए - वह भी सेतु से नदी के गहरे जल में कूद गया । 
बड़ी मशक्कत के बाद वह नवयुवती उसके काबू में आ गई , अपने मजबूत बाहों में उसको लेकर नदी के गहरे जल से किनारे पहुचने में वह सफल हो गया, जल प्रवाह से बहार आने के बाद वह युवती अपना होसो हवास खो चुकी थी परन्तु उसकी सांसो की गति ठीक थी, ततपश्चात युवक ने उसको औधे मुह लम्बा लिटा दिया और अपने मजबूत हाथों से उसके पीठ को दबाने लगा जिससे नवयुवती के मुहं से पानी बाहर आने लगा और धीरे धीरे वह चेतन अवस्था में आने लगी पुर्ण चेतन अवस्था में आते ही वह चिल्ला कर ऊँचे स्वर में बोली , तुम कौन हो ? तुमने मुझे क्यों बचाया ? 
तुमको जीने के लिए 
मै जीना नही चाहती 
जिन्दगी जीने के लिए होती है मरने के लिए नहीं 
एक दिन सबको मरना है 
तुम सत्य कह रही हो , मरना तो सत्य है , लेकिन खुदकुशी करके मरना अपराध है एक प्रकार का पाप है और मै यह पाप तुमको नहीं करने दुंगा - चलो मेरे साथ ....
नहीं मै कही नहीं जाऊँगी  
कही जाओगी नहीं तो क्या करोगी ? 
मर जाऊगी , 
मै तुम्हे मरने नहीं दूंगा 
धीरे-धीरे अंधेरी रात का पहर समाप्त होकर दिन के उजाले की तरफ अग्रसर होने लगा - आस पास का समूचा वातावरण सफेद दुधिया सी चाँदनी रात की रौशनी में स्पष्ट नजर आने लगा , जब सुरज की निगाहे लम्बी - छरहरी कान्तिमय ( सपना ) के मुख मंडल पर पड़ी तो उसे देख कर वह स्तब्ध रह गया , उसके आकर्षक अंग - प्रत्यंग को देखता रह गया , उसे ऐसा लगा जैसे इस चाँदनी रात में कोई अप्सरा उतरकर उसके सामने आ गई हो , उसको वह सुन्दरता की मूरत जैसी दीख रही थी । 
तुम्हारा नाम क्या है ? 
मेरा नाम सपना है । 
सपना तुम किस गाव की रहने वाली हो ? 
गाँव गाव का नाम जान कर क्या करोगे ? 
मै तुमको तुम्हारे गाव तक छोड़ दूंगा । 
मुझे गाँव नहीं जाना है , तुम अपना रास्ता पकड़ो और जाओ । 
इधर जब दुर्योधन का नशा उतरा तो वह अपने को अकेले दलान में पाया और .... अपने घर का दरवाजा खुला देखकर दंग रह गया । सपना ओ सपना , घर के अन्दर से कोई प्रति उतर नहीं मिलने पर , वह उस रूम में गया जहाँ सपना रहती थी , उसे वह भी नहीं देख कर वह पड़ोसीयों के घर पंहुचा लेकिन किसी के घर सपना नहीं मिली ....
कुछ ही समय बाद सपना के घर में नहीं होने की बात गाव में आग की तरह फ़ैल गई । 
दुर्योधन दुरोधन की बेटी घर से फरार हो गयी है , चारो तरफ कुवे बावरी तलाब में लोग उसे ढूढने लगे , मगर सपना उन्हें कही नहीं मिली , फिर जितने मुह उतनी बातें , क्या करेगी - जवान लड़की है , घर में भी कोई नहीं है , बाप है भी तो शराबी उसको शराब पिने से फुर्सत नहीं है , कब तक घुट - घुट कर जीती रहेगी - आखिर दिल तो उसके पास भी है, हाँ भाई तुम ठीक कह रहे हो , जवानी बहुत खतरनाक चीझ होती है , जिसकी जैसी सोच थी , वह अपनी - अपनी सोच के अनुरूप ही बातें करता रहा ।

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प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने कृपया मेरी कहानी 'बहू की विदाई' के हर भाग पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏

9 अगस्त 2023

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रचनाएँ
झुक गई नफरत
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प्रिय पाठको मै दीपक सिंह अपनी इस पुस्तक “ झुक गई नफरत, के माध्यम से क्षेत्रीय धार्मिक सांस्कृतिक स्थानों की प्रसिद्धी एवं समाज में प्रचलित कुरीतियां दहेज प्रथा अमीरी गरीबी, उच नीच की भावनाओं को कम करने का प्रयत्न कर रहा हूँ साथ ही साथ अनेकता में एकता, भाई चारे व राष्ट्र प्रेम को बढाये और एक नशा मुक्त सभ्य समाज की स्थापना करने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।

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