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उदेश्य

4 जनवरी 2023

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ईश्वर की बनाई इस दुनिया में हर सिक्के के दो पहलू होते हैं
अगर दिन है तो रात भी है 
सुबह है तो शाम भी है 
अच्छाई है तो बुराई भी है 
भगवान है तो शैतान भी है 
मोहब्बत है तो नफरत भी है 
परन्तु जीवन का एक बड़ा सत्य यह भी है चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो एक दिन अच्छाई के सामने बुराई दम तोड़ ही देती है और इस कहानी में एक फौजी के स्वाभिमान और वास्तविक जीवन के साथ ही साथ इंसान के भावनात्मक जीवन के कई उतार-चढ़ाव है और अंत में मोहब्बत के सामने नफरत को झुकना ही पड़ता है ।

                  मैं दीपक सिह अपनी इस कहानी के माध्यम से अपनी क्षेत्रीय धार्मिक सांस्कृतिक स्थानों को और अत्यधिक प्रचलित करने तथा समाज में प्रचलित कुरीतियों को कम करने और अनेकता में एकता व राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरि रखने तथा ऊंच नीच की भावनाओं को कम करने और एक नशा मुक्त दहेज मुक्त सभ्य समाज की स्थापना करने का प्रयत्न करता हूं ।

आप लोगों के प्रेम और स्नेह में ही हमारी सफलता है कृपया आप हमारी इस कहानी को पढ़ने के बाद अपना बहुमूल्य सुझाव अवश्य प्रदान करें ।

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रचनाएँ
झुक गई नफरत
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प्रिय पाठको मै दीपक सिंह अपनी इस पुस्तक “ झुक गई नफरत, के माध्यम से क्षेत्रीय धार्मिक सांस्कृतिक स्थानों की प्रसिद्धी एवं समाज में प्रचलित कुरीतियां दहेज प्रथा अमीरी गरीबी, उच नीच की भावनाओं को कम करने का प्रयत्न कर रहा हूँ साथ ही साथ अनेकता में एकता, भाई चारे व राष्ट्र प्रेम को बढाये और एक नशा मुक्त सभ्य समाज की स्थापना करने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।

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