लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने मेंतुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने मेंऔर जाम टूटेंगे, इस शराबख़ाने मेंमौसमों के आने में, मौसमों के जाने मेंहर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैंउम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने मेंफ़ाख़्ता की मजबूरी ,ये भी कह नहीं सकतीकौन साँप रखता है, उसके आशियाने मेंदूसरी कोई लड़क