हमारा दिल सबेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चिरागों की तरह आँखें जले जब शाम हो जाए
मैं खुद भी एतिहातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए
अजब हालत थे यूँ दिल का सौदा हो गया आखिर
मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए
समुन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए
मुझे मालूम है फिर उसका ठिकाना कहाँ होगा
परिंदा आसमान छूने में जब नाकाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए,.,!!!