----- पण्डित जी का भोग ----
आज राजू बड़ा खुश था ! आखिर माँ आज खीर पूरी हलुवा जो बना रही थी !उछलता फिर रहा था दोस्तों को बता रहा था ! सब बनने के बाद राजू बोला -“ माँ हलुवा दे ना ! " माँ ने कहा -“ चल दूर हो जा ! अभी हाथ मत लगाना , मुश्किल से तो ये समान उधार दिया है लालाजी ने ! पंडित जी को भोजन कराना है ! आज तेरे पिता जी की बरसी