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गगन

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”लघु कथा" "खुले गगन में मैना" उड़ रही थी एक मैना निर्भीक होकर खुले गगन में। मगन थी, अपने विश्वास से परिपूर्ण होकर अपने पंख फड़फड़ाये जा रही थी। बे-खबर थी, उन शिकारी परिंदों की ललचायी आँखों से जो अपनी उड़ान तभी भरते हैं जब कोई नयी मैना आकाश से मंत्रमुग्ध होकर अपने हौसलों को हवा में उछाल कर अपने कोमल पंख

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