तोड़ा ना होता यूँ किसी ने दिल हमारा,कैसे बनता यूँ दर्दे-इश्क का ये अफसाना.टूटे दिल से हमने बनाया एक आशियाना, माशूक़ा को यूँ दे दिया उसका मालिकाना. समझेंगे भी वो दर्दे-दिल ये तो ना जाना, करते रहेंगे उस पर जिंदगीभर हुकुमराना. (आलिम)
छूटी जो गली उनकी दर्दे अफ़साना बन गया, बिछड़ना उनसे बहाना - ए - मौत बन गया. यूँ तो आना जाना लगा रहता है जिंदगी में, पर उनका इस तरह जाना गवारा ना हुआ. देख जिन्दा मुझे लगता है ये अफसाना झूठा,बिना उनके जीना मौत से कम तो ना हुआ.(आलिम)