दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है , आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है . ............................................................... बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी , मुक़र्रर वक़्त पर मौ
जंगल में जवानों की मौत का ताण्डव कबतक?सवाल यही है कि हमारे जंगलों में हमारेजवानों का खून बहने का सिलसिला आखिर कब खत्म होगा? नक्सली समस्या शुरू होने के बाद से जवानो और कई बडे नेताओं सहित कितनेही लोगों का खून बह चुका है कि यह अगर सूख नहीं जाता तो एक नदी का रूप ले सकता था:यह सब जानते हुए भी खून बहन
माना कि दुनिया मतलबी है तुझे ही अब आदत को बदलना पड़ेगामौत जब तुझको आवाज देगी,तो उससे भी दोस्त मिलना पड़ेगा ॥इस काली रात के बाद होगा सवेरा हौसला तो रख मिटेगा एक दिन अंधेरापाँव फूलों पे रखने से पहलेतुझको काँटों से गुजरना पड़ेगामाना कि दुन
मौत से बचने की दुआ।बाग-बगीचे, नदी-नहर, खान-पान, लोक-लज्जा, कीड़ेमकोड़े, गौरेया, गिद्ध, गाय, नीलगाय को तड़पाने के बाद।खुद तड़पने लगा, इंसान इंसान से डरने लगा।छुआछूत के बेल पनपने को रोक रहा था हर कोई।दूरियाँ मिटाने की राह में चले थे सभी, कोरोना ने और दूरियाँ बढ़ा दिया।मानव निर्मित हर चीज बहुत लाभदायक होने
दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है ,आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है ................................................................बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी ,मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है ..................................................................बेवफा है जिंद
जो बड़ा बना,वह गया।कली से खिलकर फूल बनकरबिखर गया।कोपलों से खिलकर बन पत्ताबिखर गया।नन्हा सा पौधा बनकर पेड़,वह भी कट गया।गिरी जो बर्फ पहाड़ो कोढकने के लिए वह भी बह गई।जमीन से उठी पार्टी नेआसमान चूमने के कोशिश किया।वह भी सिमट गईं इस जहांमे।गरीबी से उठकर अमीरों कोजानने की कोशिश किया,हो हताश ज़िंदगी से मौत क
छूटी जो गली उनकी दर्दे अफ़साना बन गया, बिछड़ना उनसे बहाना - ए - मौत बन गया. यूँ तो आना जाना लगा रहता है जिंदगी में, पर उनका इस तरह जाना गवारा ना हुआ. देख जिन्दा मुझे लगता है ये अफसाना झूठा,बिना उनके जीना मौत से कम तो ना हुआ.(आलिम)
अमृतसर हादसा: पंजाब के अमृतसर में दशहरे पर बड़ा हादसा हो गया. रावण दहन के दौरान मची भगदड़ के कारण 61 लोग ट्रेन से कट गए. वे रेल की पटरी पर थे और रेल इतनी रफ्तार में आई कि वे संभल भी नहींसके. घटना में 150 से ज्यादा लोग घायल हैं. हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पटरी के करीब 20
भोजपुर जिले के बिहिया शहर के बदनाम एरिया में सोमवार को एक युवक की रहस्यमय मौत के बाद भीड़ हिंसक बन गई। गुस्साए लोगों ने बदनाम एरिया पर हमला बोल दिया। तीन घरों में आग लगा दी। तीन गुमटियों और एक बाइक को फूंक डाला। एक घर को भी ध्वस्त करने का प्रयास किया। बदनाम एरिया की एक मह
भूख ? डॉ शोभा भारद्वाज भारत विकास शील देश है, राजधानी दिल्ली में चर्चा है तीन बच्चियाँ मर गयी पोस्ट मार्टम करने वाले डाक्टर ने कहा उनके पेट में अन्न का दाना भी नहीं था कुपोषण की शिकार आभा रहित बच्चियाँ सूख गयीं थी उनके शव देख कर ऐसा लगता था जैसे आठ दिन से कुछ खाया नही