shabd-logo

common.aboutWriter

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

pradeep

pradeep

0 common.readCount
28 common.articles

निःशुल्क

pradeep

pradeep

0 common.readCount
28 common.articles

निःशुल्क

pradeep888

pradeep888

सबसे कठिन काम है स्वयं को पहचानना .

निःशुल्क

pradeep888

pradeep888

<p>सबसे&nbsp;कठिन&nbsp;काम&nbsp;है&nbsp;स्वयं&nbsp;को&nbsp;पहचानना&nbsp;</p>.

निःशुल्क

common.kelekh

बेफकूफ

14 जून 2020
1
0

मास्टरजी : (कक्षा में ) जो इस कक्षा में सबसे ज्यादा बेफकूफ है वो खड़ा हो जाए. कुछ देर तक कोई खड़ा नहीं हुआ, फिर एक लड़का जो नया नया आया था खड़ा हो गया. मास्टरजी: तो तुम समझते हो कि तुम सबसे ज्यादा बेफकूफ हो? लड़का: जी नहीं, पर मुझ

बुलबुल

3 मई 2020
1
0

बुलबुल के फड़फड़ाने से गर चील मर जाए, तब तो गलती चील की है बुलबुल की नहीं. चील को तो यूँ भी आनी थी मौत एक रोज़, इलज़ाम बुलबुल पे लगे ये बात अच्छी तो नहीं. बाज़ों का शोर है चील के मरने पर किसलिए, बुलबुल के पर कतरने का मौका भ

टेसू

2 मई 2020
1
0

हमारा टेसू यही अड़ा, खाने को मांगे दही-बड़ा ,दही-बड़े में मिर्चे तेज़, आगे देखो काजीहौज, काजीहौज में चली छुरी ,आगे देखो फतेहपुरी, फतेहपुरी में बैठा था नाई, आगे देखो जमुना माई, जमुना माई पे बिछा बाजरा, आगे देखो शहर शाहदरा, शहर शाहदरा हुआ आबाद, आगे देखो गाज़ियाबा

जलन

29 अप्रैल 2020
0
0

कोई नाम तेरा लेता है जलन दिल में मेरे होती है, तस्वीर बनाता है कोई आग दिल में लग जाती है, क्या करे इन ख्यालों का मज़बूर है कुछ कहने से. ख़ौफ़ नाराज़गी का ज़ुबाँ पे लफ्ज़ नहीं आता कोई. (आलिम )

आशिकी

23 अप्रैल 2020
0
0

इस बात पे खुश है कि हुई तारीफ़ हमारी, नहीं दुःख कितने मरे इस तारीफ़ की खातिर. ख़ूबसूरत हो फिर भी तो तुम्ही हो कातिल , बेबस है हम यही तो है आशिकी हमारी. (आलिम)

तारीख़

12 अप्रैल 2020
0
0

ना तख़्त रहेंगे ना ताज़ रहेंगे, ना करोना के नामोनिशान रहेंगे. तारीख़ में कुछ नाम दर्ज़ रहेंगे, मना रहे थे जश्न महामारी में.मेहमाननवाज़ी भी हुई ज़ोरो से, बदली हुकूमत भी खूब शोरो से. धमकियाँ भी खाई खूब शेरों ने,म

करोना

5 अप्रैल 2020
0
0

करो ना कुछ, रोको करोना को, ताली बजा ली थाली बजा ली,अब तो दिया बाती भी जला ली, पर रुका ना कोप इसका है, बात ना बढ़ जाए कही आगे, कुछ करो ना, रोको करोना को. बाते करने से जंगे जीती नहीं जाती, तीर और तलवार से लड़ना पड़ता है. (आलिम)

मियाँ मिठ्ठू

4 अप्रैल 2020
0
0

मियाँ मिठ्ठू दान वो होता है जो गुप्त दिया जाए, काम वो होता है जो खुद बोले, तारीफ़ वो होती है जो दूसरे करे. बता कर चंदा दिया जाता है, काम करने का शोर मचाना प्रचार होता है, खुद की तारीफ करने वाला मियाँ मिठ्ठू होता है. दान ब

इकोनॉमी

4 अप्रैल 2020
0
0

जब इकोनॉमी हो आउट ऑफ़ कन्ट्रोल,ताली बजाकर बोल, थाली बजाकर बोल, दिया जलाकर बोल आल इस बेस्ट.

मज़हब

29 मार्च 2020
0
0

मज़हबगाह बदन मेरा, ख़ुदा ज़मीर है, ज़रूरत नहीं मुझे किसी मज़हबगाह की. कुछ लोग इस जहां में जिनमे ख़ुदा नहीं,तोड़ते और बनाते है मज़हबगाह बस यूँही.(आलिम)

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए