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भीखू और चोखू ( कहानी अंतिम क़िश्त)

7 अप्रैल 2022

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भीखू और चोखू ( दो बैलों की कहानी - अंतिम क़िश्त)

( अब तक -- भीखू  और चोखू मालिक के द्वारा किसानी के लिये ट्रेक्टर खरीद लाने के कारण अपनी महत्ता कं होते देख आत्महत्या का मं बनाकर नदी की ओर चल पड़ते हैं ) इससे आगे--

रात के अंधियारे में भीखू और चोखू दोनों बाड़ा की रस्सी को तोड़कर बाड़ा से बाहर आ जाते हैं और धीरे धीरे उदास मन के साथ नदी की ओर बढने लगते हैं । जैसे ही वे नदी के पास पहुंचते हैं , उन्हें एक बकरी दिखाई देती है ,जो उनके ही गांव की थी ।  उस बकरी ने शायद हाल ही में किसी बच्चे को जन्म दी थी । उसके पैरों के पास एक नन्हा बच्चा पड़ा था और उसका शरीर खून से सना था । वह दर्द से कराह रही थी , पर अपने बच्चे को देखकर वह बेहद खुश भी दिख रही  थी । इतने में भीखू और चोखू की नज़र वहां से 50 मिटर दुर एक तेन्दुए पर पड़ी , जो धीरे धीरे बकरी और उसके बच्चे की ओर बढ रहा था । संभवत: आज वह बकरी और उसका बच्चा उस तेन्दुए का शिकार बनने जा रहे थे । भीखू और चोखू ने एक दूसरे की ओर देखा और आंखों आखों में दोनों ने एक दूसरे को कुछ इशारा किया । इसके बाद दोनों तेज़ी से आगे बढकर बकरी व उसके बच्चे के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए। तेन्दुआ उसके बाद भी आगे बढता रहा और उसने भीखू पर हमला कर दिया । भीखू भी तैयार था उसने अपने सिर को पहले झुकाया और फिर पूरी ताक़त से उपर उठाया जिससे उसके दोनों सिंग तेन्दुए के जबड़े पर ज़ोर से पड़े। उधर चोखू तेन्दुए के पीछे जाकर अपने सिंग से तेन्दुए की कमर पर वार किया । तेन्दुए को जब दोनों तरफ़ से चोट लगी तो वह दर्द से बिलबिला गया और दुम दबाकर पलटकर वहां से भाग गया । बकरी ने दोनों को दिल से धन्यवाद दिया ।  इतने में ही बकरी का मालिक वहां पहुंच गया और उसने जब देखा कि उसकी बकरी और बकरी के बच्चे को भीखू और चोखू ने बचाया है तो वह उन दोनों के सर पर हाथ फ़ेरा मानों उन्हें धन्यवाद दे रहा है व कह रहा है कि तुम दोनों ने इस गांव की इज़्ज़त को बचाया है ।अगर तुम्हारा मालिक तुम्हारी अवहेलना कर रहा तो मैं चाहूंगा तुम मेरे बाड़े में रहो और मेरी बकरियों और बकरों की रक्षा करो । मैं तुम्हारे मालिक से बात करके तुम दोनों को अपने पास रखने के बदले में उसे जो पैसा चाहिए ख़ुशी ख़ुशी उसे दे दूंगा ।  निराश भीख़ू और चोखू ने जब यह बात सुनी तो उन्हें लगा कि उन्होंने एक बहुत बड़ा काम किया है । उन्हें खुद पर गर्व का एहसास हुआ और वे सर हिलाते हुए बकरी के मालिक के साथ उसके बाड़ा की ओर चल पड़े । अब उनका काम था दिन भर बाड़े में रहना , पेट भर कर चारा खाते रहना और लगभग 2 घंटे बकरियों के झुन्ड के साथ बाड़े से बाहर जाना और उनकी रक्षा करना । 

एक दिन जब भीखू और चोखू बाहर घूम रहे थे उन्हें रस्ते में उनका पुराना चरवाहा किसुन मिल गया । जो बहुत ही खुश दिख रहा था । भीखू –चोखू और उनके पुराने चरवाहे के बीच दुआ सलाम हुआ । उसके बाद भीखू ने चरवाहे से पूछ कि कैसे हो आप ,आजकल क्या कर रहे हो ? जवाब में चरवाहे ने कहा कि आजकल मैं गनेश जी का ट्रेक्टर चला रहा हूं । मैं अपनी वर्तमान ज़िन्दगी से बेहद खुश हूं । मैं यह भी जानता हूं कि तुम लोग भी आजकल बहुत खुश हो और पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण काम कर रहे हो । गांव का सारा “ पाल “ समाज तुम दोनों की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहा है । अच्छा मैं चल रहा हूं शहर जा रहा हूं । मालिक का ट्रेक्टर बिगड़ गया है । मेकेनिक को फोन कर रहा हूं तो वह उठा नहीं रहा है, इसलिए उसे व्यक्तिगत रूप से साथ लाने जा रहा हूं । 
समय गुज़रता रहा भीखू और चोखू अपने काम से खुश थे कि एक दिन उनका पुराना मालिक गनेश उनके नए मालिक पाल जी के सामने खड़े होकर उनसे निवेदन कर रहे थे कि 10 दिनों के लिए भीखू और चोखू को मेरे घर भेज दो । मेरे ट्रेक्टर को मिस्त्री बना नहीं पा रहा है । कह रहा है कि कोई मेजर फ़ाल्ट है । जिसे बनाने में कम से कम 10 से 15 दिन तो लगेंगे ही । इतने दिनों तक अगर मैं  खेतों को जोतुंगा नहीं तो सारी फ़स्लें खराब हो जाएंगी और मैं आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाउंगा । अगर फ़स्लें नहीं हुई तो मैं ट्रेक्टर संबंधित जो लोन लिया है उसका पेमेंट नहीं कर पाऊंगा और एजेन्सी वाले मेरे ट्रेक्टर को ज़ब्त भी कर सकते हैं । पाल जी तुम जो पैसा मांगोगे वह मैं देने को तैयार हूं ।

भीखू और चोखू ने जब अपने पुराने मालिक गनेश को पाल जी के सामने गिड़गिड़ाते देखा तो उन्हें अच्छा नहीं लगा । वे सोचने लगे कि जिस मालिक ने हमें 5 सालों तक पाला पोसा उनके प्रति हमारी भी कोई तो ज़िम्मेदारी है । दोनों ने अपने नए मालिक पाल जी से कहा कि मालिक हम दोनों अपने पुराने मालिक का काम करने सहर्ष तैयार हैं । साथ ही आपकी बकरियों को घूमाने भी ले जाएंगे । समय भले कुछ आगे पीछे हो सकता है । आपसे निवेदन है कि हमारे पुराने मालिक से बदले में कोई पैसा न लीजिए। भले लगे तो आज से हमारा दाना पानी कुछ कम कर लो । आखिर हम पर गनेश जी का कर्ज़ है । जिसे छुड़ाने का कोई भी मौक़ा मिले तो हमें बेहद खुशी होगी । उन दोनों के मुख से ऐसी बातें सुनकर उनके पुराने मालिक गनेश जी की आखों से आंसू बहने लगे ।
अगले साल से गांव वालों ने देखा कि गनेश जी अपने 10 एकड़ खेत में से 5 एकड़ खेत में ट्रेकटर की सहायता से जुताई का काम कर रहे हैं । जबकि बाक़ी 5 एकड़ खेत की जुताई वह भीखू और चोखू की सहायता से कर रहे हैं और इस 5 एकड़ खेत में खाद के रूप में वे सिर्फ़ गोबर का उपयोग करते हैं । अब गोबर खाद से पैदा हुई उनकी उपज की लोग दोगुना , तिगुना दाम देने को तैयार रहते हैं । गनेश कोई ऐसा कोई खतरा नही उठाना चाहते कि उनका ट्रेक्टर अगर लंबे समय के लिए बिगड़ जाए तो उसके पास कोई दूसरा ज़रिया न रहे । अत: उन्होंने भीखू और चोखू को फिर से अपने साथ रख लिया है और उनकी देख भाल भी उसी अच्छे तरह से करने लगा जैसा कि वह पहले देखभाल करता था । 
उधर रमेश पाल अपनी बकरियों की देखभाल के लिए दो स्वान खरीद लाए हैं । 
कुल मिलाकर गनेश की वर्तमान व्यवस्था से गणेश के अलावा भीखू, चोखू और उनका चरवाहा भी बेहद खुश हैं । वे सब चाहते हैं कि भारत देश का हर किसान उसी तरह से खेती करे जिस तरह से गनेश जी कर रहे हैं । जिसमें कुछ तो नई चीज़ों का ज़रूर प्रयोग करें पर साथ ही कुछ पुरानी चीज़ों का भी उपयोग करते रहें । पुरानी चीज़ों के उपयोग का अनुभव हमें हज़ारों साल से है । जबकि नई चीज़ों का उपयोग हम 50/60 साल से कर रहे हैं । जिसके फायदे- नुकसान अब हम सबको पता चल चुका है ।

( समाप्त )
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भीखू और चोखू ( दो बैलों की कहानी प्रथम क़िश्त)
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भीखू और चोखू के मालिक गनेश ने जब खेती के लिये ट्रेक्टर खरीद के ले आया तो भीखू और चोखू को चिन्ता होने लगी कि अब खेती में हमारी उपयोगिता नगण्य हो जाएगी तो हमारा मालिक हमें किसी कसाई के हाथों बेच देगा । वे आपस में मंत्रणा करते हैं कि कसाई के हाथों मरने से अच्छा होगा हम लोग आत्महत्या कर लें। ये सोच कर दौनों पास स्थित नदी की ओर आगे बढने लगते हैं।

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