कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले हकीकत का सामना करने से डरते हैं जो हौंसला रखते सागर पार करने की वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी पर भला भरसक यत्न
बस कुछ ही दूर थी सफलता, दिखाई दे रही थी स्पष्ट, मेरा प्रिय मित्र मन, प्रफुल्लित था, तेज़ प्रकाश में, दृश्य मनोरम था, श्वास अपनी गति से चल रहा था, क्षणिक कुछ हलचल हुई, पैर डगमगाया, सामने अँधेरा छा गया, सँभलने की कोशिश की, किन्तु गिरने से ना रोक पाया अपने आप को, ना जाने कौन था, जो धकेल कर आगे चला गया,
अत्यंत दुर्बल परिस्तिथि में..एक साहसीय भीषण गर्जना,चारो ओर सन्नाटा..आपस में तांकते महा विभोर, दुःख.. कठिनाई.. तनाव.. समस्या..सब खड़े मौन,विस्मित मन से सोच रहे,अब हो गया इनका विरोध,कैसे करेंगे परेशान अब,सुन कर उसकी गर्जना,पीछे खड़ा.. सहमा हुआ डर..डर रहा था आगे आने को,सोच