यादों के झरोखे
अधर तेरे कभी कपकपायें तो होंगे कभी मेरे यादों के झरोखे छाये तो होंगे,क्या भूलकर भी अभी तुम याद करती होक्यूँ आई हिचकी मुझे इस तरह क्या अब भी मुझे तुम याद करती हो ! उत्तेजनाओं के बादल उमड़ते तो होंगेबरसातो के हिलोर मन में उठते तो होंगें, क्या अब भी संजोकर बैठे हो उन सवनो को क्यूँ बहक गया हूँ इस म