हसरतें
तेरे तसव्वुर को क्या हम समझते , दिल तो तुझे दिया था फिर क्या करते,तन्हाई यूँ गुजरती है रवाँ रवाँ,की फिर हम किसी और को क्या समझाते,रास न आयी तुझको मेरी मासूमियतहम दुसरे को क्या-क्यों समझाते,.यूँ बेकरारी मेरे अन्दर थी न समझे,जब तुमने ही मुझे न समझा तो औरो को क्या समझा