होली का दिन आया नजदीक अभी तुम घर नही आए इंतजार में थके मेरे नयना, अभी तुम घर नहीं आए दिल में मचा है हलचल कोयल की कूक करे मन बेकरार, अभी तुम नहीं आए, शाम होते घर आ जाते, सखी सब मिल खेलेंगी होली, मै तुमको लगाती गुलाल
मेरे द्वारा रचित कविताएं हैं, मेरी कविताएं जीवन की अनुभूतियों और नारी जीवन की उथल पुथल, नारी जाति की सोच और उसके मनोभावों की अभिव्यक्ति है ।
एक कवित्री के नाते मुझे पूरा विश्वास है मेरी रचनाएं पाठकों को पसंद आयेगी ।
कवित्री
उषा सिंह