वतन की वापसी कैसा वक्त का साया है, ऐसा मंजर देख सभी का, मन घबराया है, परदेश बसे बच्चे हैं, मां के हाथ में फोटो, आंखों में आसूं है, अंतस में पीड़ा ए कैसी बेबसी है, रो -रो कर मां तड़प रही, पिता करे विचार आएगा मेरा लाल,
मेरे द्वारा रचित कविताएं हैं, मेरी कविताएं जीवन की अनुभूतियों और नारी जीवन की उथल पुथल, नारी जाति की सोच और उसके मनोभावों की अभिव्यक्ति है ।
एक कवित्री के नाते मुझे पूरा विश्वास है मेरी रचनाएं पाठकों को पसंद आयेगी ।
कवित्री
उषा सिंह