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होली

27 मार्च 2021

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मोहल्ले में होलिका दहन का आयोजन हो रहा था

मन में विचारो का सैलाब उमड़ रहा था

कल करेंगे मज़े, एक दम दिल खोल

रंगो के साथ होगा, मस्ती का माहौल

नाचेंगे, नचाएंगे, रंगो में नहाएंगे

जात-पात का भेद भूल, मिलकर धूम मचाएंगे


एक रंग में रंगे चेहरों की क्या होगी पहचान

न होगा कोई ईसाई, न सिख, न हिन्दू और न मुस्लमान

सब होंगे बस एक रंग, एक रस और एक समान

जमकर खेलेंगे होली, खाएंगे सेव-गुजिया और पकवान

इन्ही विचारो के साथ मैंने भी अबीर-गुलाल उड़ाया

समाप्त हुआ होलिका दहन और मैं अपने घर आया


उस रात मुझे होलिका का स्वपन आया

उसे मुझसे एक प्रश्न करते पाया

मुझे जलाकर तुम क्या हासिल कर जाओगे ?

क्या ऐसा करके विष्णु भक्त कहलाओगे ?

जब तक अपने अंदर के तम को नहीं जलाओगे

क्या तब तक भक्त प्रह्लाद बन पाओगे ?


उसके प्रश्नो से मन विचलित हुआ

सोचा, बात तो उसने सही ही बोली है

होलिका दहन, रंगो का मिलन, मिष्ठानो का सेवन

क्या यही असली होली है ?

जब हम अपने चेहरे पर लगे रंगो के साथ अपने अंदर के मैल को मिटायेंगे

तभी हम इस पर्व के असल उद्देश्य को सार्थक कर पाएंगे


आप सभी को होली की शुभकामनाये

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जय महाकाल

23 मार्च 2021
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वह साकार है ,वह निराकार है वह सृष्टि का आधार है वह धरा है , वह व्योम है वही शिव है , वही सोम है। वह मृत्यु का सागर है वह जीवन की गागर है वह ज्ञान का समुद्र है वही काल है , वही रूद्र है।वह सुधा है , वह गरल है वह जटिल है , वह सरल है वह प्रचंड है , वह प्रबल है वही अटल है ,

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होली

27 मार्च 2021
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बचपन

10 अप्रैल 2021
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स्कूल न जाने के लिए पेट का गड़बड़ हो जाना टीचरों की डाँट पर आँखों से टेसुओं का बह जाना पेंसिल को दोनों तरफ से छीलना, रबड़ को गोदना दोस्तों के साथ मौज मस्ती में स्कूल टाइम का बीतना वो २६ जनवरी का स्कूल में खाना और पद संचलन याद आता है मुझे मेरा वो बचपन विष-अमृत हो या हो छुप्पन-छुपाई सिथोलिया हो या

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मुर्दो की चौपाल

10 मई 2021
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एक बार यूहीं शमशान के पास से निकल रहा था गौर से देखा तो वहाँ मुर्दो का चौपाल चल रहा था जो कल तक एक दूसरे को काटने के लिए बने थे कसाईआज ऐसे बैठे थे जैसे हो भाई भाई उनकी चर्चा का विषय था ऑक्सीजन की कमी इस पर बात करते हुए सभी के आँखों में थी नमी जात पात रंग वर्ण किसी का न भेद थाबस सभी को मात्र ऑक्सीजन

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