जय महाकाल
वह साकार है ,वह निराकार है वह सृष्टि का आधार है वह धरा है , वह व्योम है वही शिव है , वही सोम है। वह मृत्यु का सागर है वह जीवन की गागर है वह ज्ञान का समुद्र है वही काल है , वही रूद्र है।वह सुधा है , वह गरल है वह जटिल है , वह सरल है वह प्रचंड है , वह प्रबल है वही अटल है ,