एक बार यूहीं शमशान के पास से निकल रहा था
गौर से देखा तो वहाँ मुर्दो का चौपाल चल रहा था
जो कल तक एक दूसरे को काटने के लिए बने थे कसाई
आज ऐसे बैठे थे जैसे हो भाई भाई
उनकी चर्चा का विषय था ऑक्सीजन की कमी
इस पर बात करते हुए सभी के आँखों में थी नमी
जात पात रंग वर्ण किसी का न भेद था
बस सभी को मात्र ऑक्सीजन न मिलने का खेद था
जीवन के कितने ही सपने संजोये थे
भविष्य की अगणित योजनाओ के बीज बोये थे
अगर हमको भी समय पर ऑक्सीजन मिल जाता
तो जीवन का दीप यूँ असमय न बुझ पाता
एक न एक दिन हर किसी को यमराज के पास जाना है
और चित्रगुप्त से अपने पापो का हिसाब करवाना है
अगर प्रकृति के साथ यूँ खिलवाड़ न किया होता
सौ नहीं तो कम से कम 6-7 साल और जिया होता
इमारतों और कारखानों के साथ 2-4 पेड़ लगाए होते
तो यूँ ऑक्सीजन की कमी के चलते प्राण न गवाए होते
मुर्दो की भीड़ में एक बिलकुल मौन था
न जाने वो भला मानस कौन था
मुर्दो ने उससे पूछा तुम्हे कौन सी बात सताए जा रही है
वो बोला मुझे तो जो जिन्दा है उनकी चिंता खाये जा रही है
मनुष्य आधुनिकता की दौड़ में अँधा हुए जा रहा है
भौतिकता के पीछे भाग कर नैतिकता खोता जा रहा है
अगर वो समय रहते ये बात नहीं समझ पायेगा
तो कल वो भी हमारी ही चौपाल का हिस्सा बन जायेगा