स्कूल न जाने के लिए पेट का गड़बड़ हो जाना
टीचरों की डाँट पर आँखों से टेसुओं का बह जाना
पेंसिल को दोनों तरफ से छीलना, रबड़ को गोदना
दोस्तों के साथ मौज मस्ती में स्कूल टाइम का बीतना
वो २६ जनवरी का स्कूल में खाना और पद संचलन
याद आता है मुझे मेरा वो बचपन
विष-अमृत हो या हो छुप्पन-छुपाई
सिथोलिया हो या हो घोडा-बदाम-छाई
गिल्ली-डंडा हो या हो बेट-बॉल
लंगड़ी, खो-खो हो या हो फुटबॉल
इन्ही खेलो में रमता था मन
याद आता है मुझे मेरा वो बचपन
किराये पर वीडियो गेम का लाना
"contra" में दुश्मन के छक्के छुड़ाना
"circus" में सारे लेवल पार कर जाना
"super mario" में एक्स्ट्रा लाइफ कमाना
इन्ही सब से हो जाता था मनोरंजन
याद आता है मुझे मेरा वो बचपन
कॉमिक्सो को आपस में बदल बदल कर पढ़ना
भोकाल की तलवार बना आपस में लड़ना
ध्रुव हो,डोगा हो या हो नागराज की हुंकार
बांकेलाल के किस्से पढ़,छूट जाती थी हंसी की फुहार
इन्ही को लेकर कभी कभी हो जाती थी आपसी अनबन
याद आता है मुझे मेरा वो बचपन
वो बातों बातों में "captain व्योम" बन जाना
"देख भाई देख" देख कर खिलखिला जाना
पीछे तौलिया लपेट,आसमान में ऊँगली दिखा
देखते ही देखते "शक्तिमान" की तरह घूम जाना
T.V. न देख पाने पर कर देते थे कभी कभी अनशन
याद आता है मुझे मेरा वो बचपन
ज़िन्दगी की आपाधापी से अब थक सा गया हूँ मैं
जिम्मेदारियों के बोझ तले दब सा गया हूँ मैं
social media पर सैकड़ो दोस्तों से घिरा हूँ मैं
असल जिंदगी में तन्हा सा खड़ा रह गया हूँ मैं
आज़ाद परिंदो की तरह फिर से उड़ना चाहता हूँ मैं
अपने बचपन को फिर से जीना चाहता हूँ मैं
अपने बचपन को फिर से जीना चाहता हूँ मैं