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बचपन

10 अप्रैल 2021

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स्कूल न जाने के लिए पेट का गड़बड़ हो जाना

टीचरों की डाँट पर आँखों से टेसुओं का बह जाना

पेंसिल को दोनों तरफ से छीलना, रबड़ को गोदना

दोस्तों के साथ मौज मस्ती में स्कूल टाइम का बीतना

वो २६ जनवरी का स्कूल में खाना और पद संचलन

याद आता है मुझे मेरा वो बचपन


विष-अमृत हो या हो छुप्पन-छुपाई

सिथोलिया हो या हो घोडा-बदाम-छाई

गिल्ली-डंडा हो या हो बेट-बॉल

लंगड़ी, खो-खो हो या हो फुटबॉल

इन्ही खेलो में रमता था मन

याद आता है मुझे मेरा वो बचपन


किराये पर वीडियो गेम का लाना

"contra" में दुश्मन के छक्के छुड़ाना

"circus" में सारे लेवल पार कर जाना

"super mario" में एक्स्ट्रा लाइफ कमाना

इन्ही सब से हो जाता था मनोरंजन

याद आता है मुझे मेरा वो बचपन


कॉमिक्सो को आपस में बदल बदल कर पढ़ना

भोकाल की तलवार बना आपस में लड़ना

ध्रुव हो,डोगा हो या हो नागराज की हुंकार

बांकेलाल के किस्से पढ़,छूट जाती थी हंसी की फुहार

इन्ही को लेकर कभी कभी हो जाती थी आपसी अनबन

याद आता है मुझे मेरा वो बचपन


वो बातों बातों में "captain व्योम" बन जाना

"देख भाई देख" देख कर खिलखिला जाना

पीछे तौलिया लपेट,आसमान में ऊँगली दिखा

देखते ही देखते "शक्तिमान" की तरह घूम जाना

T.V. न देख पाने पर कर देते थे कभी कभी अनशन

याद आता है मुझे मेरा वो बचपन


ज़िन्दगी की आपाधापी से अब थक सा गया हूँ मैं

जिम्मेदारियों के बोझ तले दब सा गया हूँ मैं

social media पर सैकड़ो दोस्तों से घिरा हूँ मैं

असल जिंदगी में तन्हा सा खड़ा रह गया हूँ मैं

आज़ाद परिंदो की तरह फिर से उड़ना चाहता हूँ मैं

अपने बचपन को फिर से जीना चाहता हूँ मैं

अपने बचपन को फिर से जीना चाहता हूँ मैं

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जय महाकाल

23 मार्च 2021
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वह साकार है ,वह निराकार है वह सृष्टि का आधार है वह धरा है , वह व्योम है वही शिव है , वही सोम है। वह मृत्यु का सागर है वह जीवन की गागर है वह ज्ञान का समुद्र है वही काल है , वही रूद्र है।वह सुधा है , वह गरल है वह जटिल है , वह सरल है वह प्रचंड है , वह प्रबल है वही अटल है ,

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होली

27 मार्च 2021
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मोहल्ले में होलिका दहन का आयोजन हो रहा था मन में विचारो का सैलाब उमड़ रहा था कल करेंगे मज़े, एक दम दिल खोलरंगो के साथ होगा, मस्ती का माहौलनाचेंगे, नचाएंगे, रंगो में नहाएंगे जात-पात का भेद भूल, मिलकर धूम मचाएंगेएक रंग में रंगे चेहरों की क्या होगी पहचानन होगा कोई ईसाई, न सिख, न हिन्दू और न मुस्लमान स

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बचपन

10 अप्रैल 2021
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स्कूल न जाने के लिए पेट का गड़बड़ हो जाना टीचरों की डाँट पर आँखों से टेसुओं का बह जाना पेंसिल को दोनों तरफ से छीलना, रबड़ को गोदना दोस्तों के साथ मौज मस्ती में स्कूल टाइम का बीतना वो २६ जनवरी का स्कूल में खाना और पद संचलन याद आता है मुझे मेरा वो बचपन विष-अमृत हो या हो छुप्पन-छुपाई सिथोलिया हो या

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मुर्दो की चौपाल

10 मई 2021
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एक बार यूहीं शमशान के पास से निकल रहा था गौर से देखा तो वहाँ मुर्दो का चौपाल चल रहा था जो कल तक एक दूसरे को काटने के लिए बने थे कसाईआज ऐसे बैठे थे जैसे हो भाई भाई उनकी चर्चा का विषय था ऑक्सीजन की कमी इस पर बात करते हुए सभी के आँखों में थी नमी जात पात रंग वर्ण किसी का न भेद थाबस सभी को मात्र ऑक्सीजन

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