गेहूं की बाली,
फागुन की होली
रात पहर में होलिका
जली
भोर में राखी,
प्रातराश में धूलि
पौ फटते ही आ गयी
होली
लाल हरे और नीले पीले
सारे रंग में रंगे
हैं लोग
इर्ष्या द्वेष को रख
परे
प्यार के रंग में
रंगे हैं लोग
गेहूं की बाली फागुन
की होली.. गेहूं की बाली फागुन की होली..
सूरज चढ़ते लग गयी
भंग
गली गली में फाग के
रंग
भंग के संग में है
ठंडाई
प्रीत के रंग में है
हरजाई
गेहूं की बाली फागुन
की होली.. गेहूं की बाली फागुन की होली..
सांझ तले सब मिले
गले
गुजिया नमकीन के हर
स्वाद चखे
राग द्वेष रख ताक
परे
प्रेम सौहार्द के
स्वाद चखे
गेहूं की बाली फागुन की होली.. गेहूं की बाली
फागुन की होली..