हे राष्ट्रध्वज, करता हूँ वंदन शीश झुका कर करूँ नमन मैं तू तीन रंगों का अद्भुत संगम लगा दी डुबकी ऐ मेरे हमदम केसरिया से शौर्य की गाथा श्वेत सिखाये शांति की भाषा हरित है द्योतक हरियाली का चक्र दिखाए प्रगति की गाथा तू तीन रंगों का अद्भुत मेल
रंगें हुए हैं हर मजहब में
शौर्य बढ़ा है जय जवान से शांति की भाषा है विज्ञान से हरियाली है हर किसान से प्रगति की राहें हर मनु जन से शीश झुका कर करूँ नमन मैं शीश झुका कर करूँ नमन मैं