मामा नही बनना था....
एक अरसा गुजर गया,
अपने बीते बचपन को देखे,
माटी की सौंधी सौंधी खूशबू,
बारिश की पहली फुहार में भीगना,
नंगे पाँव खेत खलिहान की दौड़,
उधर बरखा ने जोर पकड़ा,
और इधर चले पे पकोड़ों ने,
बारिश की वजह से कच्चे आँगन में,
जगह जगह पानी में रेलम-पेल सी मच गयी,
बच्चों ने रद्दी से नाव बना डाली,
उनम