14 अगस्त 2023
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मुझे साहित्यिक किताबें पढ़ना बहुत पसंद है ।और मैं लिखती भी हूं, कहानियां, उपन्यास , कविताएं और अपने विचार, सामाजिक समस्याओं पर ग्रह एवं नक्षत्रो पर ,,,D
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Very good
मेरी डायरी में आप मेरे विचारों से जुड़ने के साथ ही साथ अपने मन की बातें भी मुझसे साझा कर सकते हैं। क्योंकि मेरा मानना है कि जब तक दूसरों से जुड़ते नहीं तब तक कोई हमारे मन और मस्तिष्क के भावों को कैसे
कुछ चीजें पूर्व निर्धारित होती हैं जिसमें व्यक्ति का जन्म और उसकी मृत्यु विज्ञान युग युगांतर तक चाहे जितना विकसित हो जाए, किंतु कुछ चीजों के कारण वह हार कर बैठ जाता है ।कहते हैं ,"जन्म और मृत्यु" के
क्या किसी से प्रेम करना गलत है? क्या ,प्रेम जात--पात ,ऊंच-नीच को देखकर करना चाहिए ?और चलिए मान लीजिए कि सब कुछ देखने के बाद प्रेम वाला वह भाव ही ना आए तो क्या? यूं तो दिन भर व्यक्ति की नजरों से लाखों
;कभी-कभी कुछ पल जीवन के रास्ते बदलने के लिए ही बनते हैं ।और हम चाह कर भी उसे मोड़ नहीं पाते इसे "नियति "कहिए या फिर "प्रभु की इच्छा," जो भी हो उस समय हमारा मन मस्तिष्क उसी दिशा की ओर अग्रसर होता
जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तत्पर हो जाता है तो उसके अंदर जो जुनून पैदा होता है। वही जुनूनियत उसकी जिद कब बन जाती है ,इसका उसे पता ही नहीं चलता, और वही जिद उस को सफल बनाने के
शब्द इससे तीखा कोई बाण नहीं होता, क्योंकि एक शब्द ही तो है ।जो व्यक्ति के मन में कहीं छूट जाए तो तीर से भी अधिक कष्टदायक होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह शब्दों की बात कहां से आ गई ??जी हां एक शब्द
कभी-कभी मन ऐसे द्वंद में फंस जाता है, कि सारी बौद्धिकता धरी की धरी रह जाती है ।यही स्थिति आई होगी विश्वामित्र के सामने जब उन्होंने मेनका को पहली बार देखा होगा , तप तो भंग होना ही था । जब वैदिक का
जीवन में नवीनता लाने के लिए त्योहारों का उतना ही महत्व होता है ।जितना कि भोजन और वस्त्र का प्रतिदिन की मशीन की तरह वाली, हां रोज की वहीं दिनचर्या व्यतीत करते करते व्यक्ति ऊब जाता है। इ
किसी कार्य को करने के पहले उस कार्य में उसके कारण का होना निहित होता है।,यह पूर्णता सत्य तथ्य है, किंतु अज्ञानता वश या फिर ऐसा होना निश्चित ही रहता है,,,, इस कारण व्यक्ति उसी ओर उन्मुख होता चला जाता ह
क्या मान मर्यादाए एवं सामाजिक प्रतिष्ठा एक दिमागी सोच का नतीजा होती है ? जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस विरासत को आगे ले जाती है। या फिर सचमुच यह व्यक्ति के आत्मसम्मान को बढ़ाती हैं, एक ऐसा आत्
क्या हम प्रेम को परिधि मे बांध सकते हैं? यदि हां तो उसका मानक क्या होना चाहिए ?क्या कोई सच्चा प्रेम परिधि का गुलाम है,?? अथवा जो प्रीत की सीमाओं को तोड़ दे वही सच्चा प्यार है। प्रेम क
कभी कभी जीवन में हम अपनी मांगी मुरादे पूरी होते देख यह सोचते हैं कि शायद भगवान को भी यही मंजूर है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि कभी-कभी भगवान को भी कुछ और ही मन्रजूर होता है। एक तरफ तो हम खुश होते रह
पश्चाताप एक ऐसा शब्द है जो व्यक्ति के मन में बोझ बनकर रहता है।, व्यक्ति चाह कर भी उसे सामने वाले से व्यक्त नहीं कर सकता, क्योंकि यह वह ताप है ,जो बाद में व्यक्ति को धीरे धीरे तपाता रहता है ।इसलि
अब दुनिया की परवाह नहीं जब इस स्थिति प्रेम में आ जाए तो समझ लीजिए कि प्रेम में वह ताकत पैदा हो गई जो किसी से भी लड़ सकने में समर्थ है ।और अपने आगे किसी को भी झुकाने की ताकत रखने लगी है, आगे बढ़ते बढ़त
जीवन में कभी ऐसे पल भी आते हैं जब हम ना चाहते हुए भी अपराध या गलतियां कर देते हैं। वह गलतियां तब तक गलतियां रहती हैं जब बात बहुत आगे नहीं बढ़ती किंतु जब बात बहुत आगे बढ़ जाती है, तो वही गलत
सीमा हैदर उम्र महज 27 साल 4 बच्चों की मां पांचवी पास और अंग्रेजी तो इतनी फराटे दार अच्छे-अच्छे भी उसके सामने अंग्रेजी नहीं बोल सकते, पांच पांच पासपोर्ट के साथ कंप्यूटर पर तेज चलती उंगलियां,,,,मोबाइल क
क्या मान मर्यादाए एवं सामाजिक प्रतिष्ठा एक दिमागी सोच का नतीजा होती है । जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस विरासत को आगे ले जाती है या फिर सचमुच यह व्यक्ति के आत्मसम्मान को बढ़ाती हैं, एक ऐसा
कभी-कभी परिस्थितियां स्पष्ट रूप से हमें जैसी दिखाई देती है वैसे नहीं रहती उनमें बहुत अंतर रहता है ।किंतु वह हमें ज्यादातर उसी रूप में दिखाई देती है जिस रूप में हम उन्हें देखना चाहते हैं। अग
जब किसी से अचानक कोई चीज छिन जाती है, तो वह रिक्त स्थान भरने में बहुत समय लगता है ।कभी-कभी तो भर ही नहीं पाता किन्तु कभी कभी व्यक्ति समझौता करके आगे बढ़ जाता है।पर मन के किसी कोने में कहीं ना कह
आखिर यह ज्ञानवापी मस्जिद है क्या? यह जानने के लिए हमें इसके इतिहास को जानना बहुत जरूरी है। "संवत "1699 में जब औरंगजेब ने कई मंदिरों को तोड़ा तो काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने इसका निर्
"' हमारे देश में सभी को समानता देने के लिए समान कानून की व्यवस्था की गई, जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म जाति या संप्रदाय का हो ,उसके लिए सामान्य नागरिक संहिता का निर्माण किया गया।,सम
कारगिल युद्ध मई 1999 में शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों और सशस्त्र आतंकवादियों ने कारगिल में रणनीतिक पदों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सशस्त्र बलों ने कब्जे वाले क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल करन
अमूल रत्नों से परिपूर्ण जाज्वल्यमान वसुंधरा का आंचल कितना पवित्र और कितना महान है, यह किसी से छिपा नहीं है। जिस प्रकार यह अपने गर्भ में अनेक रत्नो और मणिमुक्ताओ को छुपाए बैठी है,उसी प्रकार इसने
दिल्ली अध्यादेश गृह राज्य मंत्री "नित्यानन्द राय" ने इस बिल को पेश किया। वहीं विपक्ष की कई पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं ।तो कई पार्टियों ने इस बिल को अपना समर्थन भी दे दिया है। पहले 
अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पहली बार 30 जुलाई 1958 को विश्व मैत्री धर्मयुद्ध ने प्रस्तावित किया था. ,यह एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक संगठन है। . इसके बाद साल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने आधिकारिक रूप
हमारे शरीर के अंगों में आंखे बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती हैं। इनके साथ थोड़ी सी भी परेशानी हो तो तुरंत लक्षण दिखाई देने लगते हैं।आंखे आना या पिंक आई आंखों से जुड़ी ऐसी ही एक सामान्य समस्या है, जिस
आइये आज हम और आप मिलकर चर्चा करते हैं । विश्व आदिवासी दिवस की जिसके लिए सबसे पहले जानना होगा कि आखिर ये है क्या??परिभाषा एवं व्युत्पत्ति.,, आदिवासी भारतीय उपमहाद्वीप की जनजातियों के लिए सामूहिक
संसदीय प्रक्रिया में अविश्वास प्रस्ताव या विश्वासमत निंदा प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष द्वारा संसद में एक सरकार को हराने या कमजोर करने की उम्मीद से रखा जाता है ।या
आज बड़े सौभाग्य की बात है कि हमलोग एक ऐसे विषय पर लिख रहे हैं । जो हमारे यह देश की माटी से संदर्भित है । भारत एक ऐसा देश है जो “विविधता में एकता” की अवधारणा को अच्छे तरीके से साबित करता है।
हम सब साक्षी है, हर घर तिरंगा अमृत महोत्सव के,,,, आजादी का अमृत महोत्सव भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है।. इस अभियान का उद्देश्य लोगों
, इस योजना का पूरा नाम पी एम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना या फिर पी एम विकास योजना है।पी एम विश्वकर्मा योजना, के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को 'पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र' और आईडी कार्ड के माध्यम से
इन दिनों आपने एक अध्यापक की बर्खास्तगी करने को लेकर एजुकेशन प्लेटफॉर्म अनअकेडमी जबरदस्त सुर्खियों में बना हुआ है। छात्रों से पढ़े-लिखे उम्मीदवारों को वोट देने की अपील करने वाले शिक्षक करण सांगवान
इस डायरी में अपने भावों और विचारों को आपसे साझा करके मुझे बहुत अच्छा लगा, इसके लिए आप सभी पाठकों का धन्यवाद,इसमें आपने अपनी भी टिप्पणी की जिससे मैं अपनी कमियों को सुधारने का सफल प्रयास किया आपके