..... यम पांच प्रकार के होते हैं-
तत्राहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमा: ।। योगसूत्र ।।
अर्थात् (अहिंसा) वैरत्याग, (सत्य) सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य ही करना, (अस्तेय) अर्थात् मन वचन कर्म से चोरी त्याग, (ब्रह्मचर्य) अर्थात् उपस्थेन्दिय का संयम, (अपरिग्रह) अत्यन्त लोलुपता स्वत्वाभिमानरहित होना, इन पांच यमों का सेवन सदा करें ।.... सत्यार्थ प्रकाश (पृष्ठ-४८)