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28 जनवरी 2016

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#‎केश‬-लोचन#....बाल की खाल निकलना हरगिज नहीं बल्कि खाल में से बाल निकालना........पूर्ण काल्पनिक....मात्र बहस पर आधारित तहकीकात.... बल को प्रकट करने का माध्यम है....‪#‎बाल‬#....शारीरिक वास्तु में प्रकृति.....जटाओं द्वारा सौन्दर्य प्रदर्शन......सांकेतिक पहचान के साथ जोश और उमंग के लिये....मौन रूप से अग्रसर....मौन हो या नाद.....सर्व धर्म सम्मत....हर चित्र में दाड़ी दिखाई देती है....सभी चित्र देखे....आशा है आनन्द अनुभव होगा....वर्णकों के कारण बाल काला, भूरा, या लाल हो सकता है....बाल क्यों सफेद हो जाता है ?...यह संभव है कि उम्र के बढ़ने, रुग्णता, चिंता, शोक, आघात और कुछ विटामिनों की कमी से ऐसा होता हो....डाक्टरों का मत है बाल का सफेद होना वंशागत होता है....बाल काले से सफ़ेद ही क्यों होता है ??....मिर्ची लाल तथा हरी होती है, परन्तु हरी से लाल ही क्यों होती है ??? .....इसी प्रकार जटाओं का एक ही स्त्रोत....रोम-छिद्र.....हर एक के लिए एक.....•रोम • रोवां • लोम • रोआँ .....• ज़ुल्फ़ • केश • बाल.... •भोंहे • दाड़ी • मूंछ....मात्र शरीर पर स्थान परिवर्तन से सम्पूर्ण भिन्न-भिन्न नामकरण संस्कार.....इसी आधार पर बल को प्रकट करने का माध्यम है....#बाल#....शारीरिक वास्तु में प्रकृति.....जटाओं द्वारा सौन्दर्य प्रदर्शन......सांकेतिक पहचान के साथ जोश और उमंग के लिये....मौन रूप से अग्रसर....मौन हो या नाद.....सर्व धर्म सम्मत........सनातन धर्म में सर्वोत्तम.....सनातन उत्तम नाद...ओंमकार....ॐ..‪#‎फलस्वरूप‬#.....‪#‎हर‬ हर महादेव#.....कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है......वैराग्य का अपना महत्व है....पर किसी ‪#‎ऋषि‬-मुनि# की जटा या केश को आधार मान कर यह मान सकते है कि कुछ पाने के लिए कुछ धारण करना पडता है....और जटाओं का जिनका स्त्रोत मात्र ‪#‎रोम‬-छिद्र#.....मात्र स्थान परिवर्तन से....सम्पूर्ण नामकरण....और रोम-रोम में ‪#‎राम‬#.....#राम# से बड़ा #राम# का नाम....#राम# की चिड़िया #राम# का खेत.....#राम-राम# का जवाब #राम-राम# ही संभव है...और #राम-राम# का रहस्य.....बड़ा ही गूढ़....जैसे पुराना गुड.....हर धर्म या सम्प्रदाय में केश की उपस्तिथि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष महत्वपूर्ण.....अंदाज़ अपना-अपना....मान्यता भिन्न-भिन्न.... .दो खेतो के मध्य जो बागड़ होती है....जहाँ कोई खेती नहीं होती....और निश्चिन्त रूप से उपजाऊ.....उस को लेकर....एक कहावत.....चोर की दाड़ी में तिनका....या असमंजस में दाड़ी खुजाई जा सकती है....पेट पर हाथ फेरने के साथ-साथ दाड़ी पर भी हाथ फेरने का अनुभव हो सकता है.....सर पर हाथ तो ऊपर वाले का होता है.....आगाह करने का सांकेतिक इशारा....कहीं बागड़ खेतो को न खा जाय....अर्थात बागड़ को बचाना है.....भूलभुलैया....हरगिज नहीं.....मालवी कहावत....पाड़ो की लड़ाई में बागड़ का नाश....तब अलगू चौधरी और जुम्मन शेख को पंच-परमेश्वर से चर्चा करना होती है....और वह कौन ?...तो स्वयंभू....ईश्वर...देवो के देव....मन मेरा शम्भू....शम्भुनाथ.....महादेव....मै अपनी मर्जी का मालिक.....मेरा मालिक कौन ?....और स्कुल में कक्षा के बच्चे का हाथ ऊपर उठता है....उत्तर मालूम होने का संकेत... यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिन्दगी.....बस यही है एक-मात्र इल्म....अपने मित्रों की संख्या में इजाफा करने का.......‪#‎WARM‬-UP# ‪#‎EXERCISE‬#....उन सबको करना पड़ती है जिनके पीछे ‪#‎वान‬# लगा रहता है.....गुणवान, विद्धवान, रूपवान.....बस मात्र ये तीनो ही ‪#‎धनवान‬#......‪#‎अनुभव‬#.....“When the world says, “Give up”....Hope whispers, “Try it one more time”…जब दुनिया यह कहती है कि “हार मान लो”….क्योंकि दुनिया ऐसे लोगों से अंटी पड़ी है जो असाधारण सुख की आस में संतोष को ताक पर रख देते हैं......तब आशा धीरे से कान में कहती है कि, “एक बार फिर से प्रयास तो करो”…और जब हम अपने विचारों को सही दिशा निर्देशन प्रदान करते हैं, तो हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं......गुरु-दीक्षा में कान में मन्त्र की फुसफुसाहट कहती है कि नाद और मौन के मध्य भी कुछ हो सकता है......और वास्तविकता मात्र सुनने वाला ही जाने....और बाकी तो यही आकलन कर सकते है कि......# यदि बार-बार असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप कुछ आविष्कारक काम भी नहीं कर रहे हैं#....या....‪#‎असफलता‬ का मौसम, सफलता के बीज बोने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होता है#....या....‪#‎देरी‬ से प्राप्त की गई सम्पूर्णता की तुलना में निरन्तर सुधार बेहतर होता है#....या....‪#‎अपने‬ प्रत्येक दिन को सर्वोत्कृष्ट बनाएं#...या..‪#‎इतने‬ अच्छे बने कि आपकी उपेक्षा करने का किसी में साहस ही न हो#.....और गुरु-संदेश का यही निष्कर्ष.... ‪#‎The‬ nice thing about teamwork is that you always have others on your side#.....‪#‎मिलजुल‬ कर काम करने के साथ खास बात यह है कि आपके पक्ष में हमेशा और भी लोग होते हैं#....और एक शिष्य का अनुभव.....‪#‎गुरु‬# के सम्मुख.....#The less you talk, the more you're listened to#....‪#‎आप‬ जितना कम बोलेंगे, आप की बात उतनी ही सुनी जाएगी#.... भाव तो सही मन-मंदिर में ही संभव है.....सस्ते या महंगे नहीं बल्क़ि ‪#‎स्थायी‬#....और धर्म की ज्यादा जानकारी नहीं परन्तु यह पक्का है कि धर्म ही स्थायी है...#चिरस्थायी#....#प्रार्थना# इसलिए सुलभ होती है क्योंकि..."सर्वे भवन्तु सुखिनः"......प्रार्थना....भक्ति, इबादत, अरदास....सबसे मोटी पुस्तक....समस्त सागरों के पानी की स्याही....समस्त जंगलों के पेड़ो की कलम....और सम्पूर्ण धरती मात्र एक कागज़ के समान....पर्याप्त है या नहीं ???....यह तो लिखने वाला ही जाने....इस अनुभव, आभास या अनुभूति के साथ....."गुरु-गुण लिख्यो न जाय"....'हरि कथा अनन्ता'....”लोगो की मदद करते जाओ...बड़े आदमी बन जाओगे”.....अर्थात स्वयं के लिए आदेश....#कर भला तो हो भला#.....”जीवन कोरे कागज़ के स्थान पर भरा-पूरा अखबार”.....और अखबार पढने के लिए आमने-सामने की कला में पारंगत होना स्वयं का दायित्व.....शत-प्रतिशत.....जिसका एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि केवलम्'......”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#.

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JUST INTERNATIONAL....FROM THE DESK OF #VINAYAK SAMADHAN#....WITH DUE RESPECT.....TO ALL RESPECTED FRIENDS.....जय हो....शुभ-दिवस....सोशल मीडिया पर सब-कुछ....बहुतायत में बहुत-कुछ कहा जारहा है....और #कुछ# को #बहुत# ना बनाते हुए....कुछ-कुछ....#मन की बात# शत-प्रतिशत.....#सहिष्णु#....हे प्रभु....हर आईने

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#‎केश‬-लोचन#....बाल की खाल निकलना हरगिज नहीं बल्कि खाल में से बाल निकालना........पूर्ण काल्पनिक....मात्र बहस पर आधारित तहकीकात.... बल को प्रकट करने का माध्यम है....‪#‎बाल‬#....शारीरिक वास्तु में प्रकृति.....जटाओं द्वारा सौन्दर्य प्रदर्शन......सांकेतिक पहचान के साथ जोश और उमंग के लिये....मौन रूप से अ

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