इम्यूनिटी बढाने टिप्स
बहुत से लोगों को यह परेशानी होती है कि वह बहुत ही जल्द बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी बीमारियां तो सालभर उनके साथ चिपक कर ही रहती हैं। इतना ही नहीं, ये लोग ना तो गंदगी बर्दाश्त कर सकते हैं और ना ही कुछ बाहर खाना ही इन्हें पचता है। जानते हैं इसका कारण क्या है? इसका एकमात्र और बहुत बड़ा कारण है उनके शरीर में इम्यूनिटी पॉवर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना। चलिए जानते हैं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के विषय में, जो आपकी इस समस्या को हल कर आपको जिन्दगी को खुलकर जीने का अवसर प्रदान कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए रामबाण चूर्ण.
यह चूर्ण सभी तरह के रोगो मे काम करता है. इस चूर्ण का सेवन अगर स्वस्थ व्यकित करता है तो कभी बीमार नहीं पडता और अगर रोगी व्यकित सेवन करता है तो रोग से मुक्त होता है इसका नियमित सेवन अनेक भयंकर रोगों से मुक्ति दिला कर स्वस्थ रखता है. और इसका कोई भी साईड नहीं है.
यह चूर्ण बालो का झड़ना, पेट दर्द, चर्म रोग, सोरायसिस, बुखार, फोडे – फुन्सि, पीलिया, पेट की गडबड , पाचन ना होना, पथरि, केन्सर, ऐड्स , माईग्रेन, ऐसिडीटी, गैस, जोडो का दर्द, घुटने का दर्द, पेट का फूलना , लिवर के रोग, डायबिटीज, बुखार आना, बार बार बिमार पडना, सर्दी खांसी, मलेरिया, टाईफाईड, कील – मुंहासे , दाद, खाज, खुजली, पायरिया, मसुडो के रोग, गले के रोग, थाईराईड, मस्तिष्क सबंधी रोग, आदि प्रकार के रोगों मे बेहद कारगर है.
*रोग प्रतिरोधक शक्ति चूर्ण के लिए आवश्यक सामग्री.*
पुनर्नवा 50 ग्राम
हल्दी 30 ग्राम
गिलोय का पाउडर 50 ग्राम
नीम के पत्ते 30 ग्राम
सभी चीजों को मिक्स करके चूरन बना लीजिये. आैर कांच की बोटल मे भर के रख लीजिये. सुबह खाली पेट खाना खाने से पहले 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ सेवन करें.
रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार ये खानपान की लापरवाही की वजह से होता है, कई बार नशा करने की गलत आदतों के चलते और कई बार यह जन्मजात कमजोरी की वजह से भी होता है.
अब सवाल ये उठता है कि अगर इम्यून पावर कमजोर हो जाए तो उसे बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? यहां ऐसे ही कुछ उपायों का जिक्र है जिन्हें आजमाकर आप एक सप्ताह के भीतर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं :
ग्रीन टी और ब्लैक टी, दोनों ही इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद होती हैं लेकिन एक दिन में इनके एक से दो कप ही पिएं. ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से नुकसान हो सकता है.
कच्चा लहसुन खाना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एलिसिन, जिंक, सल्फर, सेलेनियम और विटामिन ए व ई पाए जाते हैं.
दही के सेवन से भी इम्यून पावर बढ़ती है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर रखने में मददगार होती है.
ओट्स में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-माइक्राबियल गुण भी होता है. हर रोज ओट्स का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है.
विटामिन डी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इससे कई रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है. साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए और दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखने के लिए भी विटामिन डी लेना बहुत जरूरी है.
संक्रामक रोगों से सुरक्षा के लिए विटामिन सी का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखने में मददगार होता है.
जल
यह प्राकृतिक औषधि है। प्रचुर मात्रा में शुद्ध जल के सेवन से शरीर में जमा कई तरह के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पानी या तो सामान्य तापमान पर हो या फिर थोड़ा कुनकुना। फ्रिज के पानी के सेवन से बचें।
रसदार फल
संतरा, मौसमी आदि रसदार फलों में भरपूर मात्रा में खनिज लवण तथा विटामिन सी होता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप चाहें तो पूरे फल खाएँ और चाहें तो इनका रस निकालकर सेवन करें। हां, रस में शकर या नमक न मिलाएं।
गिरीदार फल
सर्दी के मौसम में गिरीदार फलों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें रात भर भिगोकर रखने व सुबह चाय या दूध के साथ, खाने से आधे घंटे पहले लेने से बहुत लाभ होता है।
अंकुरित अनाज
अंकुरित अनाज (जैसे मूंग, मोठ, चना आदि) तथा भीगी हुई दालों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। अनाज को अंकुरित करने से उनमें उपस्थित पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ जाती है। ये पचाने में आसान, पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं।
सलाद
भोजन के साथ सलाद का उपयोग अधिक से अधिक करें। भोजन का पाचन पूर्ण रूप से हो, इसके लिए सलाद का सेवन जरूरी होता है। ककड़ी, टमाटर, मूली, गाजर, पत्तागोभी, प्याज, चुकंदर आदि को सलाद में शामिल करें। इनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद नमक हमारे लिए पर्याप्त होता है। ऊपर से नमक न डालें।
चोकर सहित अनाज
गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे अनाज का सेवन चोकर सहित करें। इससे कब्ज नहीं होगी तथा प्रतिरोध क्षमता चुस्त-दुरुस्त रहेगी।
तुलसी
तुलसी का धार्मिक महत्व अपनी जगह है मगर इसके साथ ही यह एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी फायदेमंद है। रोज सुबह तुलसी के 3-5 पत्तों का सेवन करें।
योग
योग व प्राणायाम शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी जानकार से इन्हें सीखकर प्रतिदिन घर पर इनका अभ्यास किया जाना चाहिए।
हंसना जरूरी है
हंसने से रक्त संचार सुचारु होता है व हमारा शरीर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण करता है। तनावमुक्त होकर हँसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में मदद मिलती है।
बादाम: रोजाना बादाम के 8-10 दाने भिगोकर खाने से न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, बल्कि इससे दिमाग को तनाव से लडने की शक्ति भी मिलती है। विटामिन ई शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले नैचरल किलर सेल्स को बढाने में मदद करता है, जो विषाणुओं और कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होती हैं। बादाम शरीर में बी-टाइप की कोशिकाओं की संख्या बढाने का भी काम करता है। ये कोशिकाएं एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं, जो शरीर में मौजूद नुकसानदेह बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होता है। बादाम में पाया जाने वाला विटमिन ई त्वचा को स्वस्थ बनाने के साथ झुर्रियां पडने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है। साथ ही यह शरीर को कार्डियो-वैस्कुलर (हृदय और मांसपेशियों से संबंधित) बीमारियों से भी बचाता है।
संतरा: संतरा, नीबू, अनन्नास और चकोतरा जैसे खट्टे फलों में विटमिन-सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो हर तरह के संक्रमण से लडने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में सहायक होता है। इनके सेवन से बनने वाली एंटीबॉडीज कोशिकाओं की सतह पर एकआवरण बना देती हैं, जो शरीर के भीतर वायरस आने नहीं देता। इनमें मौजूद विटमिन सी शरीर में एडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बढता है, जिससे कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों से बचाव होता है और ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है। यह हृदय की धमनियों में वसा जमने की प्रक्रिया को धीमी कर देता है। चकोतरा में भी फ्लैवोनॉयड नामक नैचरल केमिकल कंपाउंड मौजूद होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करता है। इसलिए अपने रोजाना के भोजन में किसी न किसी खट्टे फल को जरूर शामिल करें।
पालक: पौष्टिक तत्वों से भरपूर इस पत्तेदार सब्जी को सुपर फूड के नाम से जाना जाता है। इसमें फोलेट नामक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो शरीर में नई कोशिकाएं बनाने के साथ उन कोशिकाओं में मौजूद डीएनए की मरम्मत का भी काम करता है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर आयरन, एंटीऑक्सीडेंट तत्व और विटामिन-सी शरीर को हर तरह से स्वस्थ बनाए रखते हैं। उबले पालक के सेवन से पाचन तंत्र सही ढंग से काम करता है और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।