*नीम - एक बहुआयामी, अद्भुत वृक्ष: प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है*
*नीम का पेड़*
भारत में पाई जाने वाली सर्वाधिक उपयोगी और मूल्यवान वृक्ष प्रजातियों में से एक है। यह पीएच 10 तक की अनेक प्रकार की मिटि्टयों में उग सकता है, जो कि इसे भारतीय उप महाद्वीप में एक सर्वाधिक बहुआयामी और महत्वपूर्ण वृक्ष बनाता है। इसके अनेक प्रकार के उपयोगों की वजह से, भारतीय कृषकों द्वारा इसकी खेती प्राचीन काल से की गई है और अब यह भारतीय संस्कृति का अंग बन गया है।
भारत में, यह पूरे देश में पाया जाता है और, ऊंचे एवं ठंडे क्षेत्रों तथा बांध-स्थलों को छोड़कर, हर प्रकार के कृषि-जलवायु अंचलों में अच्छी तरह उग सकता है।
*नीम के पेड़ की जड़ से लेकर छाल, तना, निंबोली और पत्तियां सभी कुछ उपयोगी है।*
कई शोधों में नीम के कई चमत्कारित गुण सामने आए हैं। आयुर्वेद में नीम को अमृत के समान माना जाता है।
शास्त्रों में भी नीम की मान्यता है। त्रिवेणी भी बड़ और पीपल के साथ तभी पूरी होती है जब उसमें नीम साथ लगाई जाए। गांव व शहरों में पुराने समय से ही त्रिवेणी रोपी जाती रही है और इसका मुख्य कारण नीम का गुणकारी होना है। शास्त्रों व आयुर्वेद से जुड़े साहित्य में नीम को गुणों की खान कहा गया है।
नीम के पेड़ की जड़ से लेकर छाल, तना, निंबोली और पत्तियां सभी कुछ उपयोगी है।
ईंधन से लेकर दवाई तक में नीम का इस्तेमाल हमेशा ही होता आया है।
नीम को लेकर भारत सहित तमाम देशों में शोध होते रहे हैं और इन शोधों ने नीम के कई चमत्कारित गुण दुनिया को बताएं हैं।
*आयुर्वेद से जुड़े लोग नीम को अमृत के समान बताते हैं।*
नीम एक ऐसा पेड़ है जो सबसे ज्यादा कड़वा होता है परंतु अपने गुणों के कारण आयुर्वेद व चिकित्सा जगत में इसका अहम स्थान है।
नीम रक्त साफ करता है।
दाद, खाज, सफेद दाग और ब्लडप्रेशर में नीम की पत्ती लेना लाभदायक होता है।
नीम कीड़ों को मारता है। इसलिए इसकी पत्तों को कपड़ों व अनाज में रखा जाता है।
नीम की 10 पत्ते रोज खाने से रक्तदोष खत्म हो जाता है।
नीम के पंचांग, जड़, छाल, टहनियां, फूल पत्ते और निंबोली बेहद उपयोगी हैं। इसलिए पुराणों में इसे अमृत के समान माना गया है।
नीम आंख, कान, गला और चेहरे के लिए उपयोगी है। आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।
नीम के पत्ते को पीसकर अगर दाईं आंख में सूजन है तो बाएं पैर के अंगूठे पर लेप लगाएं। सूजन अगर बायीं आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें। आंखों की लाली और सूजन ठीक हो जाती है।
कान में दर्द या फोड़ा फुंसी हो गई हो तो नीम या निंबोली को पीसकर उसका रस कानों में टपकाए।
कान में कीड़ा गया हो तो नीम की पत्तियों का रस गुनगुना कर इसमें चुटकी भर नमक टालकर कान में टपकाकर, कीड़ा मर जाएगा।
अगर कान से पीप आ रहा है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर कान साफ करें, पीप आना बंद हो जाएगा।
सर्दी जुकाम हो गया हो तो नीम की पत्तियां शहद मिलाकर चाटें। खराश तुरंत ठीक हो जाएगी।
हृदय रोगों में भी नीम लाभदायक है।
हृदय रोगी नीम के तेल का सेवन करें तो काफी फायदा होगा।
नीम की दातुन से दांत साफ करना काफी फायदेमंद होता है।
घर पर इसका मंजन भी बनाया जा सकता है।
अपच की समस्या हो तो निंबोली खाने से रूका हुआ मल बाहर निकल जाता है।
बासी खाना खाने से पित्त, उल्टियां हो तो इसके लिए नीम की छाल, सोंठ और कालीमिर्च को पीस लें और आठ-दस ग्राम सुबह शाम पानी से फांक लें। तीन चार दिनों में पेट साफ हो जाता है।
दस्त हो रहे हों तो नीम का काढा बनाकर लें। (नीम के किसी भी प्रयोग को करने से पहले चिकित्सक परामर्श अवश्य लें।)
नीम (neem) बहुत ही लाभदायक और ओषधीय गुण से भरपूर एक पेड़ है। जिसका प्रयोग प्राचीनकाल से प्राकृतिक, होमियोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में तो किया ही जाता है साथ ही बहुत से अंग्रेज़ी और ओर्गेनिक दवायो में किया जाता है। इतना ही नहीं नीम का प्रयोग त्वचा संबंधित क्रीम, लोशन, पाउडर और फ़ेसवश में भी किया जाता है, इसलिए तो नीम को ओषधीय गुण से भरपुर माना जाता है, जिससे हम विभिन्न बीमारियो से लड़ने में सहता मीलती है जैसे की एंटीवाइरल बुखार, त्वचा रोग, मधुमेह, चेचक, रक्तशुद्ध आदी बीमारियो में ऐंटीसेप्टिक की तरह अपना काम करता है और जल्दी आराम भी दिलाता हैं।
नीम के पेड़ का प्रत्येक भाग जैसे तना, छाल, जड़, बीज़ का तेल इत्यादि सभी भागो को आयुर्वेदिक दवाए बनाने में प्रयोग किया जाता है।
नीम के विभिन्न सरल एवं लाभदायक उपयोग है, जो हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है।
*1. नीम के उपयोग त्वचा के लिए:-*
नीम एक एंटीसेप्टिक है जो हमारे त्वचा के रोगो के जैसे कील, मुहासे, चकते, टेनिंग एकजीमा जैसे रोगो को रोकने के लिए उपयोगी है।
*2. नीम रूसी के लिए:-*
नीम में फंग्स और जीवाणु रोधी गुण होते है जो आपके बालो को स्वस्थ रखते है। इससे आप के बालों का सूखापन एवं खुजली में भी लाभ मिलेगा।
*3. नीम बाल मे से जू दूर करने का उपाय:-*
नीम के बीज मे कीटाणुनाशी गुण होते जिससे की सिर के जुओ को 10 दिनो में खत्म कर देता है, ऐसा परीजीवी विज्ञान अनुसंधान द्वरा सन 2012 में प्रकाशित एक पत्रिका मे बताया गया है।
*4. नीम मसुरों की लिए:-*
मसूढ़ो की बीमारी जैसे की मसूरों का कटना, सूजन, खून आना, नाजुक मसूढ़े से दाटन का हिलना आजकल आम बीमारी हो गई है। इसके लिए भी एक गूणकारी ओषधि है।
*5. नीम रक्त शुद्ध करने में नीम* एक गुणकारी रक्तशोधक और विशंषक औषधि है। यह शरीर के सभी भागों में आवश्कयक तत्त्व और ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। रक्त की किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान होने पर बिलकुल चिंता की जरुरत नहीं है।
*6. मधुमेह : -*
नीम में मौजूद यौगिक तत्त्व रक्त शर्करा को रोकने के लिए रामबाण इलाज हैं। मधुमेह कितना भी पुराना हो चूका हो या शुरूआती चरण में हो ,यह रोगी की इन्सुलिन आवश्यकता को पूरी तरह ख़तम कर देता है।
*7. नीम गठिया (आर्थराइटिस) का उपचार:-*
गठिया रोग के लिए नीम का तेल लाभकारी औषधि है। पुराने से पुराने गठिया का दर्द या शरीर के किसीभी भाग के जोड़ो का दर्द, पीठ का दर्द इत्यादि केलिए एक कप पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्तियों औरफूलों को उबालकर ठंडा करे, इस पानी को सुबहशाम दिन में दो बार लगातार 3 महीने तक सेवन करने से सभी प्रकार के गठिया एवं जोड़ों के दर्द सेराहत मिलती है।
*8. नीम पेट के कीड़े:-*
नीम एक एंटीबायोटिक औषधि भी है। पेट में कीड़े होने की अवस्था में सुबह शाम नीम के कुछ कोमल पत्तों को चबाकर खाना चाहिए साथ में चाय के साथ नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेकर पेट के कीड़ों के लिए नीम की आयुर्वेदक कैप्सूल्स का भी सेवन कर सकते है।
*9. नाखून संक्रमण:-*
नीम के एंटीबॉयोटिक गुणों के कारण इसे हाथ एवं पैरों के नाखून संक्रमण को रोका जा सकता है। नीम के तेल का दिन में 2 बार हाथ एवं पैरों के नाखूनों में लगाने से नाखून संक्रमण से बचे रहते है।
नाखून में नीम का तेल लगाने से नाखून जड़ से मजबूत और सुन्दर बने रहते हैं।
10. नीम कटने या घाव होने पर शरीर पर किसी भी प्रकार की खुली चोट या घाव होने या कटने पर नीम के पेड़ की छाल को घर लाकर धूप में सूखा ले, सूखने के बाद उसका बारीक़ चूर्ण तैयार करे और उसे नीम के तेल या सरसो के तेल के साथ घाव पर लगा देने से घाव जल्दी सूखता है और उसके बढ़ने की कोई आशंका नहीं रहती।
नीम का एक पेड़ लगाएं और उसकी देखरेख करें जब तक की वह अच्छे से चेत नहीं जाता या बड़ा नहीं हो जाता है।