कुछ खोया कुछ पाया हमने, आपस के व्यवहार में।नफा और नुकसान बराबर, जीवन के व्यापार में।।लेन-देन की इस दुनिया़ में, नहीं देखते कम-ज्यादा।ना ही खाते झूठी कसमें, ना कोई झ
जीवन की दौड़ में,डटे रहे जो तीनों पहर,तन-मन की राहत को नई ऊर्जा समाहिए।बाकी जो रही आस, उसी का करें प्रयास,एक नई ज़िन्दगी की, चाहत जगाइए।...अनुभव के कोष में जो